(1) भूमिदृश्य: भूमि आकारों द्वारा अनेक भूमि दृश्य सर्जित होते हैं, जैसे हिमालय । हिमालय में अनेक प्रकार की उपयोगी वनस्पति, खनिज, पशु-पक्षी और शिखर बरफ से ढ़के होते है । बारहो महीने बहनेवाली नदियाँ तथा वन उपयोगी होते । हिमालय पर अमरनाथ, बद्रीनाथ, केदारनाथ, जैसे धार्मिक स्थल, नंदादेवी जैसे शिखर हिमालय पर स्थित है ।
(2) नदियाँ: प्राचीन काल से नदियाँ प्राकृतिक परिवहन की सुविधा देती थी । भारत की संस्कृति सिंधु और राबी नदी के किनारे पर विकसित हुई है । सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र, नर्मदा, यमुना, कृष्णा, कावेरी जैसी लगभग अनेक नदियों ने लोकजीवन पर प्रभाव डाला है ।
पीने का पानी, सिंचाई, बीजली, खेती, जलमार्ग जैसी हमारी महत्त्वपूर्ण आवश्यकताएँ पूरी करती है । मिट्टी के बर्तन, घर बनाने में तथा मानव जीवन को समृद्ध बनाने में नदियों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है ।
हमारी संस्कृति की ऊषा और संध्या नदियों के किनारे पर हुई थी । इसलिए नदियों को हम लोकमाता कहते हैं ।
(3) वनस्पति: भारत की प्रजा आदिकाल से पर्यावरण प्रेमी रही है, जिसका साक्षी उसका वृक्ष प्रेम है । मानव, प्राणी, पशु-पक्षी
आहार के लिए वनस्पति पर निर्भर करते हैं । भारत में पीपल, वड़, तुलसी आदि की पूजा, धूप-दीप, वटसावित्रि, पीपलपूजा की जाती थी । अनाज, दलहन, तिलहन, धन-धान्य से लहराते खेत वनस्पति से भरे वन और औषधी के लिए उपयोगी पौधों ने अति प्राचीन काल से जीवन को समृद्ध बनाया है । हरड़े, बहेड़ा, आँवला, कुँवारपाठा, उडूसी, नीम औषधी, मोगरा, गुलाब, कमल, सूरजमुखी, चंपा, निशीगंधा, जुई आदि पुष्पों ने मानवजीवन को खूब सुंदर, सुवासित और समृद्ध बनाया है ।
(4) वन्य जीवन: प्राचीन काल से ही भारत प्राणी प्रेमवाली संस्कृतिवाला देश है । वाघ, सिंह, गेंडा, हाथी, चिता, शियाल, हिरण, रीछ, रोज, साबर, खरगोश, अजगर, साँप, नाग, नेवला जैसे जीव भारत में पाये जाते है । विश्व में एशियाई सिंह मात्र गिर के जंगलों में पाया जाता है । हमारी धार्मिक मान्यताएँ कुछ वन्यजीवों मोर, बाघ, मगर, गरूड़ आदि को देवी-देवताओं के वाहन के रूप में स्थान दिया है । हमारी राष्ट्रीय मुद्रा में भी चार सिंह, घोड़ा तथा बैल की आकृति देकर उनका मूल्य दर्शाया है ।