भारत में आयी विविध प्रजाओं की संस्कृति के विशिष्ट तत्त्वों को अपनाकर एक समन्वित संस्कृति का सर्जन हुआ है ।
- समयांतर में भारत में आकर बसी इन सभी जातियों के बीच विवाह संबंधों द्वारा प्रजा का संमिश्रण हुआ ।
- सब की एक विशिष्ट जीवनशैली, अनेक भाषाओं, विचारों, धार्मिक मान्यताओं का भी समन्वय होता गया ।
- इस तरह प्रारंभिक काल से ही हमारे देश में एक समन्वयकारी संस्कृति का निर्माण हुआ, जिससे भारत ने भव्य और समृद्ध विरासत दी ।
- भारत में ये प्रजाएँ परस्पर इस तरह घुल-मिल गयी की उनका कोई स्वतंत्र अस्तित्व ही नहीं रहा अर्थात् उनका भारतीयकरण हुआ ।