भारत में पाँच प्रकार के वन पाए जाते हैं :
1. बरसाती (सदाबहार) वन :
वितरण – पश्चिमी घाट, लक्षद्वीप, अंदमान-निकोबार, असम, तमिलनाडू, 200 सेमी से अधिक वर्षा और 22° से. तापमानवाले क्षेत्र में पाये जाते हैं ।
वृक्ष – 60 मीटर से ऊँचे वृक्ष, सदा हरेभरे रहनेवाले होते हैं ।
2. पतझड़ के वन :
वितरण – 70 से 200 सेमीवाले क्षेत्र हिमालय की तलहटी, प. उड़ीसा, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, प. घाट, सतपुडा के पर्वतीय क्षेत्र ।
वृक्ष – साग, साल, सीसम, चंदन, खेर, बाँस आदि । विशेषता – 6 से 8 सप्ताह में अपने पत्ते गिराते है ।
3. कंटीले वन :
वितरण – 70 सेमी से कम वर्षावाले क्षेत्र राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब आदि ।
वृक्ष – यहाँ खज़ा बेर, बबूल, थूहर, नागफनी, खेजड़ी आदि वृक्ष पायें जाते हैं ।
विशेषता – वृक्षों की जड़े लम्बी, गहरी और चारों तरफ फैली होती है ।
4. समशीतोष्ण कटिबंधीय जंगल तथा घास के मैदान :
वितरण – हिमालय के 1000 मीटर से 3600 मीटर से अधिक ऊँचे क्षेत्र । वृक्ष – ओट, चेस्टनट, चीड, देवदार, सिल्वर, स्यूस, बर्च आदि ।
विशेषताएँ – वृक्ष शंकु आकार के, डालियाँ ढालवाली, पत्ते लम्बे, नुकीले और चिकने होते हैं ।
5. ज्वारीय वन (मेन्ग्रुव) :
वितरण – समुद्र किनारे, नदी किनारे के बंगाल की खाड़ी और गुजरात से समुद्रतटीय दलदल के क्षेत्रों में पाये जाते हैं ।
वृक्ष – सुन्दरी और चेर मुख्य वृक्ष है ।
विशेषताएँ – वृक्ष मजबूत, लकड़ी में नहीं सड़नेवाले होते है इसलिए ना बनाई जाती है ।