संचालन एक कला है, उपरोक्त कथन सही है । कला अर्थात् कार्य करने में व्यक्ति को निपुणता या कौशल । लेकिन इस कौशल्य का उपयोग करने के लिए सम्बन्धित कार्य का सैद्धान्तिक ज्ञान भी व्यक्ति के पास से होना चाहिए ।
संचालन के नियमों और सिद्धान्तों का व्यवहार में उपयोग करते समय व्यक्तिगत कुशलता, सूझ और चातुर्य महत्त्व की भूमिका निभाते है । सिद्धान्तों का मात्र पुस्तकीय ज्ञान पर्याप्त नहीं होता है । इस ज्ञान का उपयोग करने के लिए तकनिकी कला की भी उतनी ही आवश्यकता होने से संचालक को अपने व्यक्तिगत कुशलता और योग्यता के अनुरूप आवश्यक परिवर्तन करने पड़ते है । डॉ. ज्योर्ज टेरी बताते है कि ‘कला व्यक्ति को काम करना सीखाती है । (Art Teaches one to do.)
संचालन मात्र विज्ञान भी नहीं या मात्र कला भी नहीं । संचालन विज्ञान और कला दोनों का सुन्दर समन्वंय है । जिससे ही कहा जा सकता है कि, ‘संचालन न तो भौतिकशास्त्र जैसा शुद्ध विज्ञान ना ही शिल्प जैसी शुद्ध कला ।’