संचालन एक व्यवसाय है, इनमें निम्न लक्षण देखने को मिलते है ।
(1) विशिष्ट प्रकार का ज्ञान : व्यवसाय के प्रकार के अनुरूप इनमें विशिष्ट ज्ञान की आवश्यकता पड़ती है । जैसे वकील के व्यवसाय हेतु L.L.B. की पदवी अनिवार्य होती है । ठीक इसी तरह डॉक्टर के व्यवसाय हेतु MBBS, M.D., M.S., BDS, MDS की पदवी (डिग्री) प्राप्त करनीपड़ती है, ठीक इसी तरह संचालन का भी विशिष्ट ज्ञान प्राप्त करने के लिए B.B.A. एवं M.B.A. की डिग्री प्राप्त करनी पड़ती है ।
(2) ज्ञान में वृद्धि तथा संशोधन का कार्य : प्रत्येक व्यवसाय की तरह संचालन में भी अनुभव तथा प्रशिक्षण प्राप्त करने के कारण ज्ञान में वृद्धि तथा संशोधन होता है ।
(3) व्यवसायी मण्डल : विविध व्यवसाय के क्षेत्र में जिस तरह के मण्डल/संगठन हैं, ठीक इसी तरह संचालन के क्षेत्र में भी मण्डल होते है, जो कि संचालन का शिक्षण व प्रशिक्षण देने का कार्य करती है । भारत में राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर संचालन का ज्ञान प्रदान करने वाली संस्था IIM अर्थात् Indian Institute of Management कार्यरत हैं ।
(4) आचारसंहिता का पालन : प्रत्येक व्यवसायिक मण्डल अपने व्यवसाय के सदस्यों के लिए आचारसंहिता का निर्माण करते है । प्रत्येक सदस्यों को इनका पालन करना अनिवार्य होता है ।
(5) नैतिक दायित्व : व्यवसाय में नैतिक दायित्व निभाना पड़ता है जिसमें व्यवसायी व्यक्ति अपने व्यवसाय के प्रति निष्ठावान रहकर नैतिक दायित्व निभाते है । जैसे CA द्वारा अपने व्यवसाय में अपने ग्राहक अथवा व्यापारी व कम्पनी के प्रति अर्थात् असील की माहिती प्रकाशित न करना तथा उनके प्रति वफादार रहना ।