संचालन का यह तीसरा स्तर है । इस स्तर में समाविष्ट व्यक्तियों की संख्या अधिक होती है । तथा इस विभाग में समाविष्ट फोरमेन, जोबर, सुपरवाइजर इत्यादि अपने-अपने उपविभाग के विशेष जानकार व्यक्ति होते हैं । उच्च एवं मध्यस्तर के द्वारा आदेश निम्न स्तर को दिए जाते हैं । निम्न स्तर के लोगों के द्वारा मात्र प्राप्त आदेशों का परिपालन कर्मचारी गणों से करवाना होता है । ये अपने कर्मचारीगणों से प्राप्त आदेश के अनुसार समयानुसार कार्य करवाने में तथा कार्य में उत्साह बढ़ाने में अधिक महत्त्वपूर्ण होते है । निम्नस्तर में समाविष्ट व्यक्ति कार्य को कैसे, कितने समय में, किस प्रकार, तथा कम समय में अधिक से अधिक कार्य करवाने में यह स्तर अधिक कुशल होता है । इस स्तर के लोगों द्वारा उच्च एवं मध्य स्तर के अधिकारीगणों को आदेश नहीं दिए जाते मात्र आदेश, सूचन, कार्य का आयोजन प्राप्त किया जाता है । कार्य करवाने में आनेवाली रुकावटों के लिए मात्र सुझाव, विचार, व्यक्त किये जाते हैं । जिस पर मध्य एवं उच्च स्तर विचार करके सुधार करने में या योग्य साधन जुटाने में सहभागी बनता है । अतः हम कह सकते है कि निम्नस्तर यह कार्यकारी स्तर के समान है ।