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सेबी SEBI – Securities and Exchange Board of India .

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सेबी SEBI – Securities and Exchange Board of India अर्थात् भारतीय प्रतिभूति नियमन बोर्ड । Securities and Exchange Board of India कानून, 1992 के अन्तर्गत जनवरी 30, 1992 के दिन सेबी कानून रूप से अस्तित्व में आई । इनका मुख्य कार्यालय मुम्बई में स्थित है । जबकि इनके प्रादेशिक कार्यालय कोलकाता, दिल्ली और चेन्नई में स्थित है । भारत में स्थित शेयर बाजारों का नियंत्रण करने वाली सेबी एक विधिवत रूप से निर्मित कानूनी संस्था है ।

सेबी के उद्देश्य

  1. प्रतिभूतियों में निवेशकर्ताओं के हितों का रक्षण करना ।
  2. प्रतिभूतियों के बाजार के विकास को प्रोत्साहन देना ।
  3. प्रतिभूतियों के बाजार का नियंत्रण करना ।

सेबी के कार्य (Functions of SEBI)

  • शेयर बाजार में होनेवाले धन्धे पर नियंत्रण : सेबी शेयर में होने वाला धन्धा और शेयर बाजार की कामगीरी पर नियंत्रण रखती है । निर्धारित नियमों और मार्गदर्शिकाओं का पालन शेयर दलाल, उपदलाल, मर्चन्ट और बैंकर द्वारा हो रहा है या नहीं इसके बारे में निरीक्षण रखता है । सेबी शेयर बाजार की समस्त कामगीरी पर असरकारक नियंत्रण रखता है ।
  • निवेशको के हितों का रक्षण : सेबी का मूलभूत कार्य प्रतिभूतियों में निवेश करने वाले निवेशको के हितों का रक्षण करना है ।
    इससे निर्धारित किये गये मापदण्डो और नियमों का पालन मध्यस्थियों द्वारा कराया जाता है ।
  • मध्यस्थियों का पंजियन और नियंत्रण : शेयर बाजार में कार्य करने वाले मध्यस्थी जैसे कि मर्चन्ट बैंकर, शेयर दलाल, उपदलाल प्रशिक्षण का आयोजन भी करते है ।
  • परस्पर जमा कोष (Mutual Fund) का पंजियन और नियमन : म्युच्युअल फण्ड का पंजियन और उनकी कामगीरी का नियमन/नियंत्रण करते है । इसके लिए सेबी ने मापदण्ड व नीति-नियम बनाये है जिनका पालन म्युच्युअल फण्ड करते है ।
  • धोखा-घडी वाले व्यापार को बन्द करना : शेयर बाजारो में प्रतिभूतियों में होने वाला धोखा-घडी पूर्वक होनेवाले व्यापार को बन्द कराने हेतु आवश्यक कदम उठाये जाते है ।
  • दलालों का पंजियन रद्द करना : यदि कोई शेयर दलाल सेबी द्वारा प्रस्तुत किये गये नियमों और मार्गदर्शिका का पालन न करे और सेबी को आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराने में असफल हो तो उनका पंजियन रद्द करता है ।
  • कम्पनियो का संविलयन (Merger) और हस्तगत (Take-Over) का नियमन करना : निवेशको का हित बना रहे इसके लिए कम्पनियों का संविलयन और हस्तगत पर नियमन/नियंत्रण रखता है । छोटे निवेशकों की जोखिम पर कम्पनियों का संविलयन और हस्तगत न हो इस हेत सेबी मार्गदर्शिका प्रस्तुत करती है ।
  • सार्वजनिक भरपाई के सन्दर्भ में मार्गदर्शक : नई कम्पनी प्रथम बार पूँजी भरपाई के लिए अथवा वर्तमान कम्पनी पूंजी भरपाई के लिए बाजार में प्रवेश करती हो तो दोनों के लिए पृथक- पृथक मार्गदर्शिकाये प्रस्तुत करता है ।
  • स्वनियंत्रण : शेयर बाजार के मध्यस्थियों द्वारा स्वनियमन/नियंत्रण हो इसके लिए सेबी प्रयत्नशील रहता है । मध्यस्थी अपने धन्धादारी मण्डल स्थापित करे इस हेतु प्रोत्साहन देता है ।
  • शेयर बाजार की महत्त्वपूर्ण बाजार के रूप में सुरक्षा : नियमन, नियंत्रण तथा विविध मार्गदर्शिकाओं द्वारा शेयर बाजार की स्थिरता और कार्यक्षमता को बनाये रखता है ।
  • रजिस्टर की जाँच : प्रतिभूतियो को निर्गमित करने वाली कम्पनी, डिपोजिटरी पार्टीसिपन्ट और लाभार्थी मालिक के रजिस्टर अर्थात् खतौनी की आवश्यकता लगे तो जाँच करता है ।
  • शेयर बाजार का निरीक्षण और जाँच : शेयर बाजार के लिये बनाये गये नियमों का पालन हो रहा है नहीं, शेयर बाजार की व्यवस्था पद्धति और कामगीरी सेबी के नियमानुसार चलता है या नहीं उनके सन्दर्भ में सेबी निरीक्षण और जाँच कर सकती है । आवश्यकता लगे तो शेयर बाजार के मध्यस्थियों की पूछ-ताछ जाँच और हिसाबों का ओडिट (Audit) करता है ।
  • मार्गदर्शिकायें : शेयर दलाल व उपशेयर दलाल, मर्चेन्ट बैंकर, डिबेन्चर के ट्रस्टी, कम्पनी द्वारा प्रतिभूतियों को वापस लेना (Buy Back Securities) इत्यादि के बारे में समय-समय पर सेबी द्वारा मार्गदर्शिका प्रस्तुत करती है ।
  • वार्षिक और सामायिक अहेवाल प्राप्त करना : शेयर बाजारों की कार्यवाही और प्रवृत्तियों की जानकारी प्राप्त करने के लिये शेयर बाजारों के पास से विभिन्न पत्रकों के स्वरूप में अहेवाल प्राप्त करते है ।
  • संशोधन कार्य : सेबी द्वारा प्रस्तुत उपरोक्त सभी कार्यों को प्रभावपूर्ण रूप से किया जा सके इस उद्देश्य से सेबी संशोधन कार्य करती है । जिससे विभिन्न कार्यों को योग्य रूप से किये जा सके ।

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