शेयर बाजार में प्रतिभूतियों क्रय-विक्रय की प्रक्रिया (Trading Procedure of Securities) निम्नानुसार है :
(1) डिमेट खाता खुलवाना : सर्व प्रथम डिपोजिटरी पार्टीसिपन्ट के पास डिमेट खाता खुलवाना पड़ता है क्योंकि डिमेट प्रतिभूतियों के ही क्रय-विक्रय के सौदे इन्टरनेट द्वारा हो सकते है ।
(2) क्रय-विक्रय के ऑर्डर : निवेशक/ग्राहक को जिस प्रतिभूति का विक्रय करना हो उनका ऑर्डर दलाल को देना पड़ता है । ऑर्डर देते समय क्रय-विक्रय के प्रत्येक स्क्रीप्ट अनुसार मूल्य आदि स्पष्ट रूप से बताना पड़ता है । प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय में दो प्रकार से ऑर्डर दिये जाते है ।
- सीमित ऑर्डर (Limit Order) : ऐसा ऑर्डर जिसमें ग्राहक द्वारा निर्देश किये गये मूल्य पर ऑर्डर का अमल होता है । क्रय अथवा विक्रय का मूल्य निश्चित किया जाता है । फुटकर निवेशक Retail Investor और फण्ड गृह (Fund houses) इस तरह के ऑर्डर देते है।
- बाजार ऑर्डर (Market Order) : ऐसा ऑर्डर जिसमें प्रतिभूति के ट्रेडिंग स्क्रीन के उपर जो अन्तिम मूल्य/भाव दर्शाया
हो अथवा बाजार में प्रतिभूतियों की जिस कीमत पर माँग हुई हो उस कीमत पर ऑर्डर का अमल होता है ।
(3) ऑर्डर का अमल : दलाल को जब ग्राहक के पास से जब ऑर्डर मिलता है तब दलाल ऑर्डर का अमल करता है । दलाल शेयर बाजार में ऑर्डर रखता है । दलाली अपनी कार्यालय (Office) से ग्राहक की ओर से Online Trading द्वारा सौदा कर सकता है ।
(4) करार-टिप्पण/नौंध (Contract Note) : ग्राहक के ऑर्डर के अनुसार प्रतिभूतियों के क्रय- विक्रय का सौदा होने के बाद दलाल इसके बारे में जो टिप्पण-प्रविष्टी अथवा नौंध जिसमें करते है जिसे करारनौंध (Contract Note) कहते हैं । करारनौंध जिस दिन सौदा किया गया हो उस दिन की पुष्टी करता है । सामान्य रूप से सौदा होने के 24 घण्टे में दलाल करारनौंध ग्राहक को भेज देता है । इस करार नौंध में प्रतिभूति का नाम, उनकी संख्या, सौदे का भाव, ऑर्डर नम्बर, दलाली, लागू पड़नेवाले कर आदि दर्शाया जाता है । करारनौंध यह सौदा हुआ है, इसका दस्तावेज है ।
(5) सौदो का निपटारा : प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय के सौदों का निपटारा मुम्बई शेयर बाजार के निपटारा गृह (Settlement House) द्वारा होता है । जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेन्ज (National Stock Exchange) में सौदा का निपटारा नेशनल सिक्योरिटीज । क्लियरिंग कॉर्पोरेशन (NSCCL – National Securities Clearing Corporation Limited) निभाता है । सौदा या व्यापार हो उनके बाद के दिनों सौदे का निपटारा होता है ।
(6) रकम का भुगतान और प्रतिभूतियों को सौंपना : जिस ग्राहक ने शेयर की खरीदी की हो तो इस सन्दर्भ की रकम का भुगतान पे-ईन (Pay-In) के दिन से पहले करना पड़ता है । शेयर की बिक्री की हो तो पे-ईन के दिन से पहले शेयर की सपर्दगी करनी पड़ती है । ग्राहक ने शेयर की खरीदी की होगी तो पे-आउट (Pay-Out) के दिन ही शेयर को सौंपा जाता है । शेयर की बिक्री की गई हो तो ग्राहक को पे-आउट (Pay-out) के दिन ही रकम मिल जाती है । पे-ईन (Pay-In) दिन अर्थात् वह दिन कि जिस दिन बेचे गये शेयर को सौंपना शेयर का विक्रेता शेयर बाजार को मध्यस्थी के माध्यम से करते है ।
पे-आउट (Pay-out) दिन अर्थात् जिस दिन शेयर खरीदने वाले को शेयर को सौंपना शेयर बाजार करता है और शेयर बेचने वाले को उनकी रकम चकाई जाती है ।
(7) सौदो के निपटारे की ग्राहकों को जानकारी : प्रतिभूतियों के विक्रय की परिस्थिति में दलाल ग्राहक को बैंक द्वारा रकम का भुगतान करेंगे और प्रतिभूतियों की खरीदी के सन्दर्भ में दलाल ग्राहक के बैंक खाते में से रकम का सीधा भुगतान करेगा । डिमेट खाते द्वारा ग्राहक को सौदो के निपटारे की जानकारी दी जाती है ।