मुगल सम्राट अकबर अनेक राजपूत राजाओं को अपने अधीन करना चाहता था, परन्तु सफल नहीं हुआ। महाराणा प्रताप अपनी स्वाधीनता गवाने के लिए तैयार नहीं हुए। अंत में हल्दी-घाटी के मैदान में अकबर और राणा प्रताप की सेनाओं में भयंकर युद्ध हुआ। इसी प्रकार सिंहगढ़ भी मुसलमान शासक के अधीन था। उस पर अधिकार करने के लिए शिवाजी महाराज के वीर सरदार तानाजी ने उस पर आक्रमण किया। कड़ी टक्कर के बाद सिंहगढ़ हाथ में आ गया, पर अद्भुत वीरता दिखाते हुए तानाजी मालसुरे शहीद हो गए। कवयित्री कहना चाहती है कि हल्दी-घाटी और सिंहगढ़ के संघर्ष बताते हैं कि वीरों का वसन्त कैसा होना चाहिए।