कौटिल्य जिन्हें चाणक्य के नाम से जानते हैं । उन्होंने 2500 वर्ष पूर्व ‘अर्थशास्त्र’ नामकी पुस्तक में आर्थिक प्रवृत्ति के लिए चिंतन प्रस्तुत किया । अर्थशास्त्र की परिभाषा कौटिल्य ने इस प्रकार दिया : ‘मनुष्य की वृत्ति अर्थ है, मनुष्य का आवासवाली भूमि अर्थ है इसलिए पृथ्वी के देखभाल के उपाय दर्शानेवाला शास्त्र अर्थात् अर्थशास्त्र ।’ अथवा
कौटिल्य के मतानुसार “मनुष्य ने युक्त की भूमि और उसकी सुरक्षा के उपाय बताये वही अर्थशास्त्र है ।”
कौटिल्य ने राजधर्म, कर, कर के तत्त्व, दंड, पारिश्रमिक, वेतन, व्याज और कर्ज के संदर्भ में मार्गदर्शन दिया है ।
कौटिल्य ने भौतिक विचारधारा में साधन और साध्यों की स्पष्टता की है जिसका विरोध संभव नहीं है । उनकी विचारधारा की तुलना पाश्चात्य अर्थशास्त्र के साथ नहीं की जा सकती । मनुष्य आर्थिक लाभों की प्राप्ति के लिए हमेशा इच्छित रहता है और उसकी प्राप्ति के बाद उसकी सुरक्षा, उसे बनाये रखना, उनके उपाय अर्थशास्त्र बताता है ।