दैनिक जीवन में हम ‘कीमत’ और ‘मूल्य’ को समानार्थी शब्द के रूप में उपयोग करते हैं । जैसे – ‘यह वस्तु मूल्यवान है’ ‘यह वस्तु कीमती है ।’ परंतु अर्थशास्त्र में दोनों शब्दों के अर्थ अलग-अलग हैं ।
मूल्य के मुख्य रूप से दो स्वरूप हैं – उपयोगिता मूल्य और विनिमय मूल्य । अर्थशास्त्र में जहाँ मूल्य शब्द का उपयोग विनिमय मूल्य के संदर्भ में किया जाता है । अर्थशास्त्र के अध्ययन में मूल्य शब्द का अर्थ – ‘एक वस्तु के बदले में अन्य वस्तु की कितनी इकाई मिलेंगी, उसका प्रमाण यह उस वस्तु का मूल्य दर्शाता है ।’ और जब वस्तु के बदले में मुद्राकीय इकाई का भुगतान हो तब वस्तु के बदले में भुगतान की मौद्रिक इकाई उस वस्तु की कीमत दर्शाती है । इस प्रकार, मूल्य अर्थात् वस्तु या सेवा का अन्य वस्तु के प्रमाण में विनिमय मूल्य ।
कीमत अर्थात् वस्तु या सेवा के बदले में भुगतान की जानेवाली मौद्रिक इकाई का प्रमाण ।
जैसे : 100 किलोग्राम गेहूँ के लिए 200 किलोग्राम चावल दिये जायें तो 100 किलोग्राम गेहूँ का मूल्य 200 किग्रा चावल है ।
जब 100 किलोग्राम गेहूँ के लिए 3000 रु. भुगतान किये जायें तब ऐसा कहेंगे कि 100 किलोग्राम गेहूँ की कीमत 3000 रु. है ।