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तुम्हारी यह पाँव की अंगुली मुझे संकेत करती-सी लगती है, जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ़ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो ? तुम क्या उसकी तरफ़ इशारा कर रहे हो, जिसे ठोकर मारते-मारते तुमने जूता फाड़ लिया ? मैं समझाता हूँ । तुम्हारी अँगुली का इशारा भी समझता हूँ और यह व्यंग्य-मुसकान भी समझता हूँ । तुम मुझ पर या हम सभी पर हँस रहे हो, उन पर जो अँगुली छिपाए और तलुआ घिसाए चल रहे हैं, उन पर जो टीले को बरकाकर बाजू से निकल रहे हैं ।

1. लेखक के अनुसार प्रेमचंद का जूता क्या संकेत करता है ?

2. लेखक ने प्रेमचंद की व्यंग्यभरी मुस्कान का क्या अर्थ निकाला ?

3. ‘संकेत’ तथा ‘बाजू’ शब्द का अर्थ लिखिए ।

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1. लेखक के अनुसार प्रेमचंद का जूता यह संकेत करता है कि जिसे प्रेमचंद जी घृणा करते हैं, उन्हें वे हाथ की अंगुली से नहीं बल्कि पाँव की अंगुली से इशारा करते हैं ।

2. लेखक ने प्रेमचंद की व्यंग्यभरी मुस्कान का यह अर्थ निकाला कि प्रेमचंद स्वयं लेखक पर या हम सभी पर हँस रहे हैं, उन पर जो अँगुली छिपाए और तलुआ घिसाये चल रहे हैं, उन पर हँस रहे हैं । जो टीले को बरकाकर बाजू से निकल रहे हैं अर्थात् समाज में व्याप्त कुरीतियों से बचकर जो रास्ता बदलकर निकल जाते हैं ।

3. ‘संकेत’ का अर्थ है ईशारा एवं ‘बाजू’ का अर्थ है बगल ।

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