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पूर्ति के नियम के अपवादों की चर्चा कीजिए ।

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पूर्ति का नियम यह दर्शाता है कि किसी भी वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने पर वस्तु की पूर्ति में भी परिवर्तन होता है अर्थात् वस्तु की कीमत बढ़ने पर पूर्ति बढ़ती है और वस्तु की कीमत घटने पर पूर्ति भी घटती है । लेकिन खास परिस्थितियों में यह नियम लागू नहीं भी होता है । जिन्हें पूर्ति के नियम के अपवाद कहते हैं । लेकिन फिर भी इन अपवादों के विषय में अलग-अलग मत अलग-अलग अर्थशास्त्रीओं ने दिये हैं ।

पूर्ति के नियम के अपवाद :

(1) दुर्लभ वस्तुएँ : जो अप्राप्य और दुर्लभ वस्तुएँ हैं उनकी कीमतें बढ़ने पर चाहते हुए भी उसकी पूर्ति में वृद्धि नहीं की जा सकती । जैसे : प्राचीन कलाकृतियाँ-सिक्के, माइकल एन्जलो के चित्र-कलाकृतियाँ, पुरानी डाक टिकटें, रविन्द्रनाथ टैगोर की ‘गीतांजलि’ की मूल हस्तप्रत इत्यादि की कीमत बढ़ने पर भी उनकी पूर्ति में वृद्धि नहीं हो सकती । लेकिन वास्तव में देखें तो ऐसी दुर्लभ वस्तुओं का स्टॉक (stock) होता है उनकी पूर्ति नहीं होती ।

(2) श्रम की पूर्ति : सामान्यतः श्रमिकों का वेतन बढ़ाने पर उनके श्रम की पूर्ति भी बढ़ाई जा सकती है । लेकिन निश्चित मर्यादा के उपरांत श्रमिकों के वेतन में कितनी भी वृद्धि करने पर उनके श्रम की पूर्ति में वृद्धि नहीं की जा सकती । क्योंकि श्रमिक जीवित व्यक्ति होने से उसकी शारीरिक और मानसिक शक्ति मर्यादित होने के कारण एक हद के बाद उस में वृद्धि नहीं की जा सकती । उसे आराम की आवश्यकता पड़ती ही है । लेकिन आंशिक रूप से श्रमिक के मुआवजे वेतन में प्रारंभिक दौर में प्रभावित करनेवाली वेतन वृद्धि के कारण श्रमिक को अधिक लाभ दिखाई देता है जिसकी वजह से वह अपने श्रम में वृद्धि करता है । इस प्रकार निश्चित मर्यादा तक तो श्रम में वृद्धि की जा सकती है । इसलिए यह अपवाद संपूर्ण सत्य नहीं माना जा सकता ।

(3) अनाज की पूर्ति : सामान्य कृषि उपज की कीमत बढ़ने पर भी उनका उत्पादन निश्चित समय और निश्चित मात्रा में होने के कारण उसकी पूर्ति में वृद्धि नहीं की जा सकती । लेकिन आधुनिक युग में कृषि का व्यापारीकरण होने की वजह से निश्चित आय से किसान संतुष्ट नहीं रहता और स्वउपभोग या संग्रह किये (आपातकालीन परिस्थितियों के लिए) अनाज की कीमतें बढ़ने पर वह अधिक लाभ कमाने के अवसर मिलने से अनाज की पूर्ति में वृद्धि करता है । जो अनाज की पूर्ति अपवाद है उसको संपूर्ण सही नहीं बताता ।

(4) नाशवान वस्तुएँ : दूध, दही या उससे बने व्यंजनों की, फल, माँस, अंडा, मछली, हरि सब्जी इत्यादि नाशवान वस्तुओं की तत्काल पूर्ति में कमी-वृद्धि संभव नहीं होती इसलिए ये पूर्ति के नियम के अपवाद हैं । वास्तव में आधुनिक विकास के युग में आधुनिक तकनीकों का लाभ ऐसी वस्तुओं के उपयोगिता मूल्य को लम्बे समय तक बनाए रखने के अवसर प्राप्त होते हैं । इसलिए ऐसी वस्तुएँ जल्दी नष्ट नहीं होती और उनकी पूर्ति में निश्चित समय तक वृद्धि की जा सकती है ।

उपरोक्त चर्चा से हम इस निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं कि उपरोक्त अपवाद वास्तव में संपूर्ण रूप से सत्य नहीं हैं ।

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