भारत के संविधान की प्रस्तावना में व्यक्त किए गये आधारभूत शब्द जैसे हम भारत के लोग, सार्वभौम, समाजवाद, धर्म निर्पेक्षता, लोकतंत्र, गणतंत्र, बन्धुत्व, न्याय, समानता, स्वतंत्रता, राष्ट्रीय एकता और अखण्डता इत्यादि है ।
(1) भारत एक लोकतंत्रात्मक देश है:
लोकतंत्रात्मक देश अर्थात् लोगों का, लोगों द्वारा, लोगों के लिए चलनेवाला शासन ।
- भारतीय संविधान की प्रस्तावना में स्पष्ट किया गया है तथा सरकार के स्वरूप को भी स्पष्ट किया गया है ।
- इसकी घोषणा में लिखा गया है कि भारत की सरकार पूर्णत: लोगों के प्रति जवाबदार रहेगी ।
- भारत सरकार ने लोकतंत्र के मूल सिद्धान्तों – स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व को स्वीकार कर अमल में लाये है ।
- स्वतंत्र व्यस्क मताधिकार को स्वीकार कर, मूलभूत अधिकारों की घोषणा, राज्य के नीतिनिर्देशक सिद्धान्तों का उल्लेख संविधान में है ।
(2) भारत धर्म निर्पेक्ष अथवा बिनसांप्रदायिक देश:
हमारे देश के संविधान ने भारत को एक धर्म निर्पेक्ष राज्य घोषित किया है ।
- भारत की प्रजा अपनी इच्छानुसार किसी भी धर्म का पालन कर सकती है ।
- कोई भी धर्म भारत का राज्य धर्म नहीं है ।
- व्यक्ति अपने धर्म का प्रचार-प्रसार कर सकता है, लेकिन किसी को भी जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाने का अधिकार नहीं है ।
- सभी धर्मों को माननेवाली प्रजा को समान अधिकार दिए गए है । सभी को समान रूप से आदर दिया गया है । इसलिए भारत धर्म निरपेक्ष देश कहलाता है ।
(3) भारत समाजवादी देश:
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भारत को समाजवादी राष्ट्र घोषित किया गया है ।
- लोकतंत्र में सर्वत्र व्यस्क मताधिकार होने के कारण नागरिकों को राजनैतिक समानता प्राप्त है ।
- सामाजिक और आर्थिक समानता के बिना राजनैतिक समानता अपूर्ण होती है ।
- प्रस्तावना में नागरिकों के बीच सामाजिक और आर्थिक समानता हो, ऐसी समाजवादी समाजरचना का उद्देश्य रखा गया है ।
- देश के राष्ट्रीय महत्त्व के और लोकोपयोगी उद्योगों को सार्वजनिक नियन्त्रण में रखा गया है ।