इन्हें मानसूनी प्रकार के वन भी कहते हैं ।
ये वन उन क्षेत्रों में मिलते हैं जहाँ वर्षा 70 से 200 से.मी. के बीच होती है ।
- शुष्क ऋतु में इन्हें नमी कम मिल पाती है । जिससे ये वृक्ष नमी की हानि को रोकने के लिए अपने पत्तों को छः से आठ सप्ताह में गिरा देते हैं, इसलिए इन्हें पर्णपाती या पतझड़ के वन कहते हैं ।
- ये सदाबहार वनों से आकार-प्रकार में छोटे तथा कम सघन होते है ।
- इन वनों का विस्तार हमारे देश में ज्यादा है ।
- इन वनों में पाये जानेवाले वृक्षों की लकड़ी अधिक कठोर नहीं होती, इसे आसानी से काटा जा सकता है ।
- इनका उपयोग अधिक होता है अत: ये आर्थिक दृष्टि से अधिक महत्त्वपूर्ण है ।
- भारत में ये वन बंगाल, बिहार, छोटा नागपुर का पठार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश तथा हिमालय के बाहरी क्षेत्रों पर पाये जाते है ।
- इन वनों में साल, सागौन, आम, सीसम, महुआ, चन्दन, बाँस तथा सेमल आदि के वृक्ष मुख्य है ।