मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित युनियन कार्बाइड कारखाने में जंतुनाशक दवाओं का उत्पादन किया जाता था । वहाँ उत्पादन प्रक्रिया में ‘मीक’ नामक एक अत्यंत ही विषैली गेस का उपयोग होता था । इस गैस को बड़ी-बड़ी टंकियों में संग्रहित किया जाता था । 3 दिसम्बर, 1984 के माह में उस कारखाने की टंकियों से विषैली मीक गैस का रिसाव शुरू हुआ जो लगभग 40 मिनट तक जारी रहा ।
एकदम भोर में घटित इस घटना से पलभर में भोपाल की निकटस्थ घनी आबादी में तीव्र गति से गैस फेल गई और अधिकारिक आँकड़ों के अनुसार लगभग 2500 लोग मर गए । इसके उपरांत हजारों भोपालवासी इस गैस से प्रभावित हुए । मनुष्यों के अलावा हजारों पशु-पक्षियों को भी विषैली गैस निगल गई ।
इस गैस से पेयजल, जलाशयों और भूमि, गर्भस्थ एवं नवजात शिशु, सगर्भा महिलाएँ, अबाल वृद्ध सभी उसके दुष्प्रभाव का भोग बने । लगभग 10,000 लोग स्थायी रूप से विकलांग हो गए । जब कि 1.5 लाख लोग आंशिक रूप से विकलांगता का शिकार बने थे ।