पिछली सदी के अंतिम दशक में समस्त विश्व में त्रासवाद की घटनाओं ने अत्यंत भयानक विकृत स्वरूप धारण किया है, हम सब उससे परिचित हैं । वास्तविक रूप से देखा जाय तो आतंकवाद किसी जाति, समुदाय या संप्रदाय अथवा प्रदेश की परवाह नहीं करता । वह मानवता का शत्रु है । सामान्य तौर पर व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा किए जानेवाले अनैतिक विनाशकारी कार्यों को आतंकवाद कहते हैं । जिसमें संपत्ति का नाश करना, डर या भय का वातावरण बनाकर अपनी माँगों के प्रति ध्यान आकृष्ट करना, सामूहिक नरसंहार, अपहरण जैसे अमानवीय कृत्य – ये आतंकवादियों के हथियार हैं । हाल में आतंकवाद का प्रसार इतना बढ़ गया है कि वह विश्व के बहुत से देशों में फैल चुका है । इस समय कोई देश आतंकवाद से सुरक्षित नहीं है ।