दुनिया के अनेक देशों में यह समस्या देखने को मिलती है । दंगों के सामान्य लक्षणों को देखें तो पता चलता है कि इनमें जुड़ने वाले अधिकांश लोग मूल आशय या उद्देश्य से अनजान होते हैं । देखादेखी या भीड़तंत्र के रूप में वे शामिल हो जाते हैं । बिना किसी सामूहिक हित या उद्देश्य के एकत्र हुए भीड़ द्वारा जानबूझकर शांति भंग की जाती है ।
दंगे कानूनन स्थापित शासन प्रणाली को अस्थिर बनाते हैं । कभी-कभी दंगे राजनीतिक रूप धारण करके विद्रोह बन जाते हैं, तो कभी सांप्रदायिक संघर्ष में बदल जाते हैं और तब देश में सामाजिक सद्भाव तथा संवादिता खतरे में पड़ जाती है । ऐसे दंगों में निर्दोष लोगों को काफी सहन करना पड़ता है ।
हर रोज श्रम करके रोजी-रोटी कमानेवालों को जीवन-निर्वाह करना मुश्किल हो जाता है । इसके अलावा लोगों को जान-माल की भी भारी क्षति होती दंगों के कारण देश की एकता और अखंडता के सम्मुख चुनौती पैदा होती है । इस कारण, दंगों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करके . दबाना अनिवार्य है ।