स्वयंसेवक ने रानडेजी से कहा कि जिसके पास निमंत्रणपत्र हो, उसीको प्रवेश देने के लिए मुझसे कहा गया था। आपसे निमंत्रणपत्र की माँग करके मैं अपना वही कर्तव्य निभा रहा था। अब स्वागत-समिति के लोग ही बिना निमंत्रणपत्र के आपको मंच पर ले जा रहे हैं।
ये लोग ही रोड़ा अटकाएँगे तो मैं अपना कर्तव्य कैसे निभा सकूँगा? भेदभाव की नीति मुझसे नहीं बरती जाएगी।