कौमुदी केरल के बड़गरा गाँव की बालिका थी। बड़गरा गाँव में धन इकट्ठा करने के लिए गाँधीजी की सभा का आयोजन हुआ था। सभा में भाषण के बाद गाँधीजी ने उपस्थित महिलाओं से उनके गहने माँगे। बहुत – सी महिलाओं ने अपने गहने गाँधीजी को भेंट कर दिए।
उस समय 16 वर्ष की कौमुदी गाँधीजी के पास आई।
उसने गाँधीजी से उनके हस्ताक्षर माँगे। हस्ताक्षर के बदले में उसने अपने दोनों हाथों की सोने की चूड़ियाँ, गले का स्वर्णहार और कानों के रत्नजडित बुंदे गाँधीजी को दे दिए। यह निश्चित था कि उतने कीमती गहने अब वह नहीं बनवा सकती थी, परंतु देश के लिए उसने अपने गहनों की परवाह नहीं की। इस प्रकार, मूल्यवान गहने देकर कौमुदी ने अपने देशप्रेम का परिचय दिया।