भारत में पाई जाने वाली काली मृदा तथा लाल मृदा की तुलना अग्र प्रकार है-
काली मृदा |
लाल मृदा |
(1) यह मृदा लावा से बनी हुई चट्टानों के टूटने से बनती है। |
(1) यह मृदा उन चट्टानों के टूटने से बनती है जिनमें लोहे की मात्रा अधिक होती है। |
(2) इस मृदा में पोटाशियम, मैग्नीशियम, लोहा और जीवांश मिले हुए होते हैं। |
(2) इस मृदा में मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, चूना और नाइट्रोजन नहीं होता। इसमें लोहे का ऑक्साइड अधिक मात्रा में होता है। |
(3) काली मृदा पानी को बहुत देर तक सोख सकती है। अतः इसे अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। |
(3) लाल मृदा बहुत देर तक पानी नहीं सोख सकती। र इसमें वर्षा के समय ही कृषि हो सकती है। |
(4) यह मृदा बहुत उपजाऊ होती है। |
(4) यह मृदा अधिक उपजाऊ नहीं होती। |