गाँव के दूसरे लड़के अपने-अपने बाप के साथ मेले में जा रहे थे। हामिद के तो माँ-बाप मर चुके थे। अमीना उसे अकेले कैसे भेजती? उसे डर था कि कहीं भीड़ में हामिद खो न जाए। तीन कोस का सफर था और हामिद के पाँवों में जूते भी नहीं थे। अमीना को लगा कि हामिद जाएगा तो उसके पाँवों में छाले पड़ जाएँगे। उसकी जेब में केवल तीन पैसे थे। इन्हीं कारणों से हामिद मेले में जाने लगा तो उसके लिए अमीना चिंतित थी।