भारतीय अर्थ-व्यवस्था की आर्थिक गति को तीव्र करने के लिए, आत्म-निर्भरता के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए और रोज़गार तथा आय के साधनों में वृद्धि करने के लिए भारत सरकार ने पंचवर्षीय योजनाओं के अधीन उद्योगों के विकास हेतु निम्नलिखित पग उठाए हैं —
- ऋण सुविधाएं प्रदान करना-देश में औद्योगिक विकास को तीव्र करने के लिए सरकार ने कई प्रकार की ऋण प्रदान करने वाली संस्थाओं का गठन किया है, जैसे-औद्योगिक वित्त निगम, राष्ट्रीय औद्योगिक विकास निगम, पुनर्वित्त निगम, औद्योगिक विकास बैंक, यू० टी० आई०।
- आधारभूत उद्योगों की स्थापना
- यातायात तथा परिवहन साधनों का विकास
- बिजली क्षेत्र का विकास
- आविष्कारों का विकास
- निर्यात प्रोत्साहन तथा आयात प्रतिस्थापन सुविधाएं
- पिछड़े क्षेत्रों का औद्योगीकरण
- बीमार औद्योगिक इकाइयों का पुनः स्वास्थ्यकरण
- तकनीकी विकास बोर्ड की स्थापना
- नवीन औद्योगिक नीति।