वर्षा को मापने के लिए वर्षा मापक यन्त्र का प्रयोग किया जाता है। वर्षा मापक यन्त्र के बीच लोहे या पीतल का एक गोल बर्तन होता है। इस बर्तन के मुंह पर एक कीप लगी होती है जिससे बारिश का पानी साथ लगी हुई बोतल में इक्ट्ठा हो जाता है। इस कारण यह वाष्प बन कर नहीं उड़ सकता। इस यन्त्र को एक खुले स्थान पर रखा जाता है। ताकि बारिश का पानी इसमें आसानी से इक्ट्ठा हो सके। बारिश खत्म होने के पश्चात् पानी को एक शीशे के बर्तन में डाल दिया जाता है। जिस पर निशान लगे होते हैं। इन निशानों की सहायता से बताया जाता है कि कितनी वर्षा हुई है। वर्षा को इंच या सैंटमीटर में बताया जाता है।