1. निरक्षरता- भारत के लगभग 23 करोड़ से भी अधिक लोग निरक्षर हैं। प्रति 100 महिलाओं में से 60 महिलाएं निरक्षर हैं। निरक्षरता बेरोज़गारी को जन्म देती है जोकि निर्धनता का कारण बनती है। निरक्षर व्यक्ति भारत तथा अन्य देशों में विकास तथा उन्नति के अवसरों से अनभिज्ञ रहता है। इसके अतिरिक्त लोकतन्त्र प्रणाली तभी सफल होगी यदि नागरिक पढ़े-लिखे होंगे। निरक्षर नागरिक अपने अधिकारों तथा कर्त्तव्यों के प्रति भी जागरूक नहीं हो सकता।
सरकारी प्रयास- भारत सरकार देश से निरक्षरता दूर करने के लिए कई पग उठा रही है।
- हमारे संविधान में 14 साल तक की आयु के बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा देने की व्यवस्था है।
- भारत सरकार देश के निर्धन तथा कुशल छात्रों को छात्रवृत्ति देती है।
- भारत सरकार प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम भी आयोजित करती है। 2 अक्तूबर, 1978 ई० को राष्ट्रीय प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया था। 1988 ई० में राष्ट्रीय साक्षरता मिशन आरम्भ किया गया था। इसके अन्तर्गत देश के अनेक क्षेत्रों में प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र स्थापित किये गये।
- निरक्षर प्रौढ़ों के हित के लिए ऑल इंडिया रेडियो तथा दूरदर्शन द्वारा अनेक शिक्षा-सम्बन्धी कार्यक्रम प्रसारित किये जाते हैं। इन सब का उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति को साक्षर तथा शिक्षित बनाना है।
2. बढ़ती हुई जनसंख्या- आज भारत को बढ़ती हुई जनसंख्या की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। भारत की जनसंख्या इतनी तीव्र गति से बढ़ रही है कि सरकार के लिए इस बढ़ोत्तरी को रोक पाना कठिन हो रहा है। 2001 ई० के आंकड़ों के अनुसार भारत की जनसंख्या 102.7 करोड़ थी। हमारी जनसंख्या में प्रति वर्ष 1 करोड़ 60 लाख से भी अधिक लोगों की वृद्धि हो रही है।
कारण-सरकारी रिपोर्टों के अनुसार जनसंख्या वृद्धि के कई कारण हैं-
- चिकित्सा की सुविधाएँ बढ़ जाने से मृत्यु-दर कम हो गयी है। आज से 25 साल पूर्व वार्षिक मृत्यु-दर 33 प्रति हज़ार थी। परन्तु अब यह कम हो कर 14 प्रति हज़ार रह गयी है। पहले प्लेग, हैजा तथा संक्रामक रोगों को रोकने के चिकित्सा सम्बन्धी साधन बहुत कम होते थे जिस कारण इन रोगों से अनेकों मौतें हो जाती थीं। परन्तु अब इन रोगों को फैलने से रोका जा सकता है।
- कम आयु में विवाह करना बढ़ती हुई आबादी का एक अन्य कारण है। अनेक भारतीय परिवारों के, विशेषतया ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत से बच्चे होते हैं।
- अज्ञानता तथा धार्मिक कारणों से बहुत से लोग परिवार नियोजन को नहीं अपनाते।
- अनेक निर्धन माता-पिता सोचते हैं कि बच्चे खेतों या कारखानों में काम करके परिवार की आय में वृद्धि कर सकते हैं। अत: ऐसे माता-पिता अधिक बच्चे पैदा करने के इच्छुक होते हैं।
हानियां तथा समाधान- जनसंख्या वृद्धि निर्धनता, बेरोज़गारी सहित अन्य अनेक समस्याओं का मूल कारण बनती है। सरकार की सभी विकास-योजनाएं जनसंख्या वृद्धि के कारण निष्फल हो जाती हैं।
जनसंख्या वृद्धि से पैदा होने वाली समस्याओं का समाधान सरकारी स्तर पर किया जा रहा है। डॉक्टरों के नेतृत्व में लोगों को जनसंख्या वृद्धि की हानियों से अवगत कराया जा रहा है तथा छोटे परिवार के पक्ष में प्रचार किया जा रहा है।