सार्वजनिक वितरण व्यवस्था का तात्पर्य ‘उचित कीमत दुकानों’ (राशन डिपो) के माध्यम से लोगों को आवश्यक मदें ; जैसे- गेहूँ, चावल, चीनी, मिट्टी का तेल, आदि के वितरण से है। इस व्यवस्था के द्वारा निर्धनता रेखा से नीचे रह रही जनसंख्या को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है। इसके अंतर्गत अनुदानित कीमतों पर राशन की दुकानों के माध्यम से खाद्यान्नों का वितरण किया जाता है। निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में इस व्यवस्था की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इस समय भारत में सार्वजनिक वितरण व्यवस्था के अन्तर्गत 5.35 लाख उचित कीमत दुकानें अनुदानित कीमतों पर खाद्यान्नों के वितरण का काम कर रही हैं। भारतीय सार्वजनिक वितरण व्यवस्था विश्व की विशाल खाद्यान्न वितरण व्यवस्थाओं में से एक है। केन्द्र सरकार व राज्य सरकारें मिल कर इस व्यवस्था को चलाती हैं। केंद्र सरकार खाद्यान्नों को खरीदने, स्टोर करने व इसके विभिन्न स्थानों पर परिवहन का काम करती है। राज्य सरकारें इन खाद्यान्नों को ‘उचित कीमत दुकानों’ (राशन डिपुओं) के माध्यम से लाभार्थियों को वितरण का कार्य करती हैं। निर्धनता रेखा से नीचे रह रहे परिवारों की पहचान करना, उन्हें राशन कार्ड जारी करना, उचित कीमत दुकानों के कार्यकरण का पर्यवेक्षण करना, आदि की जिम्मेवारी राज्य सरकार की होती है।
सरकार निर्धनता के उन्मूलन के लिए निर्धन व जरूरतमंद परिवारों को अनुदानित कीमतों पर खाद्यान्न उपलब्ध करवाती है। इन खाद्यान्नों के वितरण में सार्वजनिक वितरण व्यवस्था का बहुत महत्त्व है। इसका मुख्य उद्देश्य निर्धन वर्ग को खाद्य सुरक्षा (Food Security) सुनिश्चित करना है। इसके अंतर्गत समाज के विभिन्न कमजोर वर्गों; जैसे- भूमिहीन कृषि मज़दूर, सीमांत किसान, ग्रामीण शिल्पकार, कुम्हार, बुनकर (Weavers), लोहार, बढ़ई, झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले व्यक्तियों, दैनिक वेतन पर काम करने वालों, जैसे-रिक्शा चालकों, फुटपाथ पर सामान बेचने वाले छोटे विक्रेताओं, बैलगाड़ी चलाने वाले व्यक्तियों, आदि को अनुदानित कीमतों पर एक निश्चित मात्रा में राशन डिपुओं के माध्यम से खाद्यान्न व कुछ अन्य आवश्यक मदें वितरित की जाती हैं। सार्वजनिक वितरण व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए ‘सार्वजनिक वितरण व्यवस्था (नियंत्रण) आदेश’ 2001 [Public Distribution System (Control) Order 2001] जारी किए गए। इसके अंतर्गत सार्वजनिक वितरण व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए नियम बनाए गए हैं।
PDS के मुख्य उद्देश्य हैं -(i) खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, (ii) निर्धनता उन्मूलन करना।