पुलिस अधिकारी को पत्थर मारकर लहूलुहान करने के अपराध में चन्द्रशेखर को पकड़ कर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया था। जब उसने इनसे इनका नाम आदि पूछा तो इन्होंने उत्तर दिया कि मेरा नाम आज़ाद, पिता का नाम स्वतंत्र तथा घर का पता जेलखाना है। इस से मजिस्ट्रेट ने इन्हें पन्द्रह बेंतें मारने की सजा सुनाई, जिसे इन्होंने ‘वन्दे मातरम्’ तथा ‘भारत माता की जय’ कहते हुए स्वीकार कर लिया। जब ये जेल से बाहर आए तो लोगों ने इन्हें चन्द्रशेखर आज़ाद कहना शुरू कर दिया।