कणों के आकार के अनुपात अनुसार भूमि की तीन श्रेणियां हैं—
1. रेतीली भूमि
2. चिकनी भूमि
3. मैरा (दोमट) भूमि।
1. रेतीली भूमि- गीली मिट्टी का लड्डू बनाते तुरन्त ही टूट जाता है। इसके कण उंगलियों में रख कर महसूस किए जा सकते हैं। सिंचाई का पानी लगाते ही सोख लिया जाता है। इसके कणों में मध्य खाली स्थान अधिक होता है। इस मिट्टी की जुताई आसान है तथा इसको हल्की भूमि कहा जाता है। इसमें हवा तथा पानी का आवागमन सरल है।
2. चिकनी भूमि- गीली मिट्टी का लड्डू सरलता से बन जाता है तथा टूटता नहीं है। इसके कणों का आकार रेत के कणों की तुलना में बहुत कम होता है। इसमें कम-सेकम 40% चिकने कण होते हैं। इसमें कई दिनों तक पानी रुका रहता है। जब नमी कम हो जाती है तो जुताई के समय मिट्टी ढीम बनके निकलती है। सूख जाने पर इसमें दरारें पड़ जाती हैं। भूमि जैसे फट जाती है। इनमें पानी रखने की शक्ति रेतीली भूमि से कहीं अधिक होती है।
3. मैरा (दोमट) भूमि- यह भूमि रेतीली से चिकनी भूमि के बीच होती है। इसके कणों का आकार भी चिकनी तथा रेतीली भूमियों के कणों के मध्य होता है। इनमें रोगों की संरचना हवा तथा पानी का संचालन, पानी सम्भाल समर्था आहारीय तत्त्व की मात्रा आदि गुण अच्छी फसल की प्राप्ति के लिए उपयुक्त तथा उपजाऊ हैं। इस भूमि को कृषि के लिए उत्तम माना गया है। इसके कण हाथों में पाऊडर जैसे फिसलते हैं।