ऋग्वैदिक काल में परिवार पुरुष प्रधान थे। परिवार में सबसे बड़े पुरुष सदस्य को परिवार का मुखिया कहा जाता था। उसे गृहपति कहते थे। उसका पूरे परिवार पर नियन्त्रण होता था। परिवार के सभी सदस्य मुखिया का आदर करते थे तथा उसकी आज्ञा का पालन करते थे। मुखिया की आज्ञा का पालन न करने वाले सदस्य को सज़ा भी दी जा सकती थी।