405, बसन्त निवास,कादियां।
11 जुलाई, 20…..
पूज्य चाचा जी,
सादर प्रणाम।
अपने जन्म दिन पर मैं अपने मित्रों के साथ आपके आने की प्रतीक्षा कर रहा था, लेकिन आप तो नहीं आए मगर आपके द्वारा भेजा हुआ पार्सल प्राप्त हुआ। जब मैंने इस पार्सल को खोला तो उसमें एक सुन्दर घड़ी देखकर बहुत प्रसन्न हुआ। कई वर्षों से इसका अभाव मुझे खटक रहा था।
मुझे कई बार विद्यालय जाने में भी देर हो जाती थी। नि:सन्देह अब मैं अपने आपको नियमित बनाने का प्रयत्न करूँगा। इसको पाकर मुझे अतीव प्रसन्नता हुई। इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। पूज्य चाची जी को चरणवन्दना। रमेश को नमस्ते। मुझे शैली बहुत याद आती है। उसे मेरी प्यार भरी चपत लगाइए। सब को यथा योग्य नमस्ते।
आपका भतीजा,
प्रेम सिंह