ऊषण कटिबंधीय वर्षा वनों की स्थिति – कर्क रेखा तथा मकररेखा के निकट या इर्द-गिर्द के क्षेत्रों को कटिबंधीय क्षेत्र कहते हैं। इन क्षेत्रों की जलवायु गर्म तथा नमी वाली होती है। यहाँ सर्दियों में भी तापमान 15°C होता है तथा गर्म ऋतु में तापमान 40°C होता है। ‘भू-मध्य रेखीय क्षेत्रों में पूरे वर्ष वर्षा होती है। इस क्षेत्र का सबसे खास स्थान ऊष्ण कटिबंधीय वर्षा वन है जो कि उस क्षेत्र पर चंदोया बना देते हैं। वर्षा वनों में पाए जाने वाले जीव-हाथी, बाघ, तेंदुआ, साँप, पंछी तथा कीट हैं।
वर्षा वनों में पाए जाने वाले जंतुओं के मुख्य गुण –
1. रेंगना-साँप, छिपकलियां, गोह (Monitor) घने जंगलों में रेंग सकते हैं।
2. मज़बूत शरीर- घने जंगलों में से गुजरने के लिए मज़बूत शरीर की आवश्यकता होती है। इसलिए हाथी, गुरिल्ला, बाघ, तेंदुआ आदि के शरीर शक्तिशाली होते हैं।
3. खास इन्द्रियाँ – कई ऊष्ण कटिबंधीय जन्तुओं की नज़र तेज़ होती है, तेज़ सुनने की शक्ति होती है तथा कुछ जंतुओं की चमड़ी का रंग इर्द-गिर्द से मिलता-जुलता भ्रम पैदा करने वाला है।
4. मज़बूत पूँछ
5. ऊंची आवाज़
6. तीखे पैटर्न
7. फलों के आहार
8. लम्बी तथा बड़ी चोंच