अलैंगिक जनन – वृद्धि की इस विधि में संतान (नया पादप) किसी भी विशेष अथवा सामान्य भाग से उत्पन्न हो सकती है। इसमें जनन अंग से उत्पन्न युग्मकों का युग्मन आवश्यक नहीं है।
लैंगिक जनन – इस विधि में नर और मादा युग्मकों के युग्मन से युग्मनज़ बनता है। इस विधि के दो चरण हैं-
1. अर्ध-सूत्री विभाजन-इसमें गुण सूत्रों की संख्या आधी हो जाती है
2. निषेचन-युग्मकों के युग्मन से गुण सूत्रों की संख्या पूरी हो जाती है।