ब्रिटेन की औद्योगिक क्रांति से पहले भारत के हाथ से बने सूती वस्त्र की संसार भर में जबरदस्त मांग थी। 17वीं शताब्दी में पूरे विश्व के सूती वस्त्र का एक चौथाई भाग भारत में ही बनता था। 18वीं शताब्दी में अकेले बंगाल में दस लाख बुनकर थे। परंतु ब्रिटेन की औद्योगिक क्रांति ने कताई और बुनाई का मशीनीकरण कर दिया। अत: भारत की कपास कच्चे माल के रूप में ब्रिटेन में जाने लगी और वहां पर बना मशीनी माल भारत आने लगा। भारत में बना कपड़ा इसका मुकाबला न कर सका जिससे उसकी मांग घटने लगी। फलस्वरूप भारत के बुनकर बड़ी संख्या में बेरोजगार हो गये और मुर्शिदाबाद, मछलीपट्टनम तथा सूरत जैसे सूती वस्त्र केंद्रों का पतन हो गया।