अज्जू को उसके पिता के जिगरी दोस्त ने बताया कि अजू के पिता तो उसके बचपन में ही मर गए थे। अज्जू के पिता ने और उसने साझे में कारोबार शुरू किया था। उनके हिस्से का रुपया वह लगातार भेजे जा रहे थे। उन्हें वर्षों से अजू के आने का इंतजार था ताकि वह अपने पिता का कारोबार संभाल सके। उसने अपने दोस्त को जो वचन दिया था उसे पूरा कर दिया। उनके परिवार को बिखरने नहीं दिया।