लेखक का मत है कि एक सच्चे मित्र में वैद्य के समान कुशलता और परख होती है। जिस प्रकार एक वैद्य रोगी के रोग की परीक्षा करके और उचित दवाई देकर उसे रोग से मुक्त कर देता है, उसी प्रकार एक सच्चा मित्र अपने मित्र की दुर्बलताओं और त्रुटियों को ढूंढ़कर उन्हें दूर करने में सहायक होता है। एक सच्चे मित्र में माँ के गुण भी होते हैं। जिस प्रकार माँ स्नेह, कोमलता और धैर्य की प्रतीक होती है, उसी प्रकार सच्चा मित्र भी माता के समान स्नेह एवं धैर्य से अपने मित्र को बुरे मार्ग से हटाकर अच्छे मार्ग पर बढ़ने की प्रेरणा देता है।