ताड़ासन (Tarasan) इस आसन में खड़े होने की स्थिति में धड़ को ऊपर की ओर खींचा जाता है।
ताड़ासन की स्थिति (Position of Tarasan)—इस आसन में स्थिति ताड़ के वृक्ष जैसी होती है।
ताड़ासन की विधि (Technique of Tarasan)-खड़े होकर पांव की एड़ियों और अंगुलियों को जोड़ कर भुजाओं को ऊपर सीधा करें। हाथों की अंगुलियां एक-दूसरे हाथ में फंसा लें। हथेलियां ऊपर और नज़र सामने हो। अपना पूरा सांस अन्दर की ओर खींचें। एड़ियों को ऊपर उठा कर शरीर का सारा भार पंजों पर ही डालें। शरीर को ऊपर की ओर खींचे। कुछ समय के बाद सांस छोड़ते हुए शरीर को नीचे लाएं। ऐसा दस पन्द्रह बार करो।

ताड़ासन ताड़ासन के लाभ (Advantages of Tarasan)-
1. इससे शरीर का मोटापा दूर होता है।
2. इससे कब्ज दूर होती है।
3. इससे आंतों के रोग नहीं लगते।
4. प्रतिदिन ठण्डा पानी पी कर इस आसन को करने से पेट साफ रहता है।
भुजंगासन (Bhujangasana)-इसमें चित्त लेट कर धड़ को ढीला किया जाता है।
भुजंगासन की विधि (Technique of Bhujangasana)-इसे सर्पासन भी कहते हैं। इसमें शरीर की स्थिति सर्प के आकार जैसी होती है। सासन करने के लिए भूमि पर पेट के बल लेटें। दोनों हाथ कन्धों के बराबर रखो। धीरे-धीरे टांगों को अकड़ाते हुए हथेलियों के बल छाती को इतना ऊपर उठाएं कि भुजाएं बिल्कुल सीधी हो जाएं। पंजों को अन्दर की ओर करो और सिर को धीरे-धीरे पीछे की ओर लटकाएं। धीरे-धीरे पहली स्थिति में लौट आएं। इस आसन को तीन से पांच बार करें।
लाभ (Advantages)—
1. भुजंगासन से पाचन शक्ति बढ़ती है।
2. जिगर और तिल्ली के रोगों से छुटकारा मिलता है।
3. रीढ़ की हड्डी और मांसपेशियां मज़बूत बनती हैं।
4. कब्ज दूर होती है।
5. बढ़ा हुआ पेट अन्दर को धंसता है।
6. फेफड़े शक्तिशाली होते हैं।
