पेट्रोलियम उत्पाद आज सारे विश्व के जनजीवन की जीवन – रेखा बने हुए हैं। भारत लगभग 70 प्रतिशत पेट्रोलियम बाहर से मँगाता है। हमारी बहुमूल्य विदेशी मुद्रा का एक बड़ा भाग पैट्रोलियम उत्पादों की भेंट चढ़ जाता है। पेट्रोल और डीजल का सबसे अधिक उपयोग वाहनों में होता है।
एल.पी.जी. सार्वजनिक ईंधन बन चुकी है। मजे की बात यह है कि एक ओर पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती कीमतों का रुदन होता है और दूसरी ओर वैकल्पिक ऊर्जा और ईंधन की यदा – कदा चर्चाएँ होकर रह जाती हैं। इनके व्यावसायिक स्तर पर उत्पादन को लेकर कभी कोई प्रभावशाली कदम नहीं उठाया जाता।