पुरुष नसबन्दी- शल्य क्रिया द्वारा पुरुषों के वृषणकोष में एक छोटा-सा चीरा लगाकर शुक्र वाहिका या वासा डिफरेन्स को बीच से काटकर इसके दोनों शिरों को बाँध दिया जाता है। इसे पुरुष नसबंदी कहते हैं। ऐसा करने से शुक्राणुओं का स्थानान्तरण रुक जाता है।
पुरुष नसबन्दी (वेसेक्टॉमी) में दोनों ओर की शुक्रवाहक को काट कर उनके किनारों को अलग-अलग बाँधना अनिवार्य होता है। इसका कारण यह है कि पुरुषों में दो वृषण व दो शुक्रवाहक होते हैं। दोनों ओर की शुक्रवाहक बाद में मूत्रनली में मिल जाती है। अगर एक ओर की शुक्रवाहक नहीं बंधी है तो बन्ध्यकरण सफल नहीं होगा तथा पुरुष की संतान उत्पन्न करने की क्षमता बनी रहेगी।