इस पद में गोपियों ने उद्धव को बड़भागी कहकर उन पर व्यंग्य किया है। ज्ञानी और योगी उद्धव प्रेम का क ख ग भी नहीं जानते। उनकी दृष्टि में प्रेम केवल एक मोह और मन की दुर्बलता है। वह प्रेम के अलौकिक आनंद से वंचित हैं। यह उनका दुर्भाग्य है। गोपियाँ उद्धव से कहती हैं कि प्रेम रूपी नदी में स्नान करना तो दूर आपने तो उसमें कभी पैर तक नहीं डुबोया। आपकी दृष्टि कभी किसी के रूप पर मुग्ध नहीं हुई।
ये तो हम ही भोली-भाली नारियाँ हैं जो श्रीकृष्ण के प्रेम-जाल में उसी प्रकार फैंसी पड़ी हैं जैसे मिठास की लोभी चींटियाँ गुड़ से चिपकी रह जाती हैं।” गोपियों द्वारा उन्हें बड़भागी कहे जाने का वास्तविक आशय उनको अभागा सिद्ध करना है।