किशोर अपराध को रोकने के उपाय – किशोर अपराध को रोकने के लिए निम्नलिखित संगठनों द्वारा कार्य किया जाता है –
1. परिवार:
यह सत्य है कि परिवार बालक की प्रथम पाठशाला है इसलिए परिवार से ही अपराध सुधार का कार्य प्रारम्भ किया जाता है। टप्पन के अनुसार, “सफल पैतृकता बच्चे में जन्म से पहले ही आरम्भ हो जाती है।”
2. विद्यालय:
विद्यालय दूसरी ऐसी संस्था है जहाँ बालकों के सुधार का कार्य किया जाता है। विद्यालय बच्चों के व्यक्तित्व पर प्रभाव डालता है। विद्यालय में बच्चों के विकास सम्बन्धी अनेक कार्य होते हैं; जैसे – धर्म शिक्षा, नैतिक शिक्षा, नागरिकता की शिक्षा, चरित्र निर्माण तथा किशोर न्यायालय के कार्य आदि। अतः स्पष्ट है कि स्कूल में बच्चे को अच्छी शिक्षा प्राप्त होती है।
3. सामुदायिक संगठन:
आधुनिक सामाजिक विचारधाराओं में स्थानीय समुदायों और पड़ोस को पुनः संगठित करने पर विशेष जोर दिया जाता है। अमेरिका में सामुदायिक सहयोग समिति संगठित की गई हैं, जो भारत में भी काफी सफलता से कार्य कर रही हैं। सामुदायिक सहयोग समिति में सामान्यतः स्थानीय किशोर न्यायालय, प्रति रक्षण विभाग, पुलिस विभाग, शिक्षा विभाग आदि संगठनों के प्रतिनिधि सम्मिलित किये गये हैं।
4. आर्थिक संस्थाएँ:
आर्थिक परिस्थितियाँ यदि ठीक होंगी तो बालक में अपराधी प्रवृत्ति कम होती है। कई बार आर्थिक | विषमताओं, निर्धनता, बेरोजगारी और गन्दी बस्तियों आदि के प्रभाव से भी व्यक्ति स्वतः ही अपराधी बन जाता है।
5. मनोरंजन सुविधाएँ:
पार्क्स और टीटर्स के विचारों के अनुसार, “पर्याप्त मनोरंजन के अतिरिक्त किशोरों की प्रवृत्तियों को समाज विशेष विरोधी व्यवहार की दिशा में ले जाने के बजाय अच्छे नागरिक बनने की ओर निर्देशित करने के लिए एक अर्थपूर्ण कार्यों का आयोजन आवश्यक है।”
6. ग्रुप वर्क:
सामान्य रूप से ग्रुप वर्क को दो विधियों में अपराधी बच्चों के सुधार के लिए किया जाता है और उन्हें अन्य नागरिकों के समान बनाया जाता है क्योंकि किशोर हमारे समाज की भावी पीढ़ी हैं।