परम्पराओं की निरन्तरता के तीन स्वरूप निम्न प्रकार से हैं –
1. प्राचीन परम्पराएँ – सिंधु घाटी की सभ्यता, मिन की सभ्यता, इराक – ईरान की सभ्यता। इन सभ्यताओं के अवशेषों से तत्कालीन सामाजिक स्थितियों का अनुमान लगा सकते हैं।
2. शास्त्रीय परम्पराएँ – यह परम्पराओं का सर्वाधिक प्रमाणिक स्रोत है। प्राचीन सहित्य जैसे – वेद, उपनिषद्, रामायण, महाभारत, जातक साहित्य आदि की साहित्य रचना से हमें सामाजिक संरचना तथा निरंतरता की जानकारी प्राप्त होती है।
3. लोक परम्परा – ये शास्त्रीय परम्पराओं की भाँति लिखित न होकर मौखिक होती है। लोक परम्परा का उद्गम स्रोत वाहक स्थानीय गाँव, कबीले के लोग होते हैं जो पीढ़ी – दर – पीढ़ी एक सीमित क्षेत्र में मौखिक रूप से हस्तांतरित होती रहती है।