जनजातीय समस्याओं के सामाधान और जनजातीय कल्याण की दृष्टि से रचनात्मक परिवर्तन लाने में सहायक व्यावहारिक नीति में निम्नलिखित बातें सम्मिलित होनी चाहिए –
1. जनजातीय समस्याओं को पृथक् श्रेणियों में बाँटकर उन्हें सुलझाने के लिए उचित योजना आवश्यक है अर्थात् विशिष्ट प्रकार की समस्याओं को सुलझाने के लिए जो विशिष्ट कार्यक्रम बनाए जाएँ उनमें परस्पर ताल-मेल हो।
2. जनजातीय कल्याण कार्यों के लिए और व्यवहारिक नीति यह होनी चाहिए कि जनजातियों को उनकी सामाजिक तथा सांस्कृतिक परिस्थितियों को एकदम समाप्त करके क्रांतिकारी परिवर्तन करने का प्रयत्न कदापि न किया जाए।
3. आर्थिक समस्याओं को दूर करने के लिए कल्याण कार्य की व्यवहारिक नीति यह होनी चाहिए कि सहकारिता और पंचायत को अधिक से अधिक विकसित किया जाए ताकि उनकी केवल उन्नति उन्हीं के द्वारा सम्भव हो।
4. सामाजिक सांस्कृतिक समस्याओं को सुलझाने के लिए जनजातीय जीवन की परम्परागत संस्थाओं को दोषमुक्त करने की आवश्यकता है। शिक्षा का प्रचार होना चाहिए किन्तु उनमें जनजातीय मनोवृत्तियों की पाचन – शक्ति का ध्यान रखना आवश्यक है।
5. जो भी योजना जनजातीय कल्याण के लिए बनाई जाए, उसमें स्थानीय तथा आवश्यक परिस्थितियों का ध्यान रखना आवश्यक है। एक ही प्रकार की योजना को समस्त जनजातीय क्षेत्रों में लागू करने की भूल लाभ के स्थान पर हानि पहुँचा सकती है।
6. जनजातीय कल्याण योजना में जनजातीय आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करने का प्रयत्न सबसे पहले किया जाना चाहिए। आर्थिक निर्बलता उनकी प्रमुख समस्या है।
अत: उपरोक्त सुझावों के आधार पर जनजातीय सदस्यों की स्थिति में सुधार लाया जा सकता है।