पूँजी बाजार तथा मुद्रा बाजार में अन्तर-
1. भाग लेने वाला- पूँजी बाजार में भाग लेने वाले वित्तीय संस्थान, बैंक, निर्गमित इकाइयाँ, विदेशी निवेशक एवं जनता में से साधारण फुटकर विनियोजक हैं, जबकि मुद्रा बाजार में अधिकांश भाग लेने वाले भारतीय रिजर्व बैंक, वित्तीय संस्थान एवं वित्तीय कम्पनियों जैसे संस्थान हैं।
2. प्रलेख- पूँजी बाजार में समता अंश, ऋण पत्र, बांड्स, पूर्वाधिकार अंश इत्यादि प्रलेखों में लेन-देन किया जाता है, जबकि मुद्रा बाजार में लघु अवधि ऋण प्रपत्र जैसे ट्रेजरी बिल, व्यापार बिल, वाणिज्य पेपर एवं जमा प्रमाण-पत्र आदि में लेन-देन किया जाता है।
3.निवेश राशि- पूँजी बाजार में प्रतिभूतियों के लिए बहुत बड़ी मात्रा में वित्त का होना आवश्यक नहीं है। प्रतिभूतियों की इकाइयों का मूल्य साधारणतया कम ही होता है, जबकि पूँजी बाजार में इसके विपरीत स्थिति होती है।
4. अवधि- पूँजी बाजार में दीर्घ अवधि एवं मध्य अवधि की प्रतिभूतियों के सौदे होते हैं-जैसे समता अंश एवं ऋण पत्र जबकि मुद्रा बाजार में प्रपत्र अधिकतम एक वर्ष के होते हैं, कभी-कभी. तो एक दिन के लिए भी जारी किये जाते हैं।
5. तरलता- पूँजी बाजार की प्रतिभूतियों को तरल निवेश माना जाता है; क्योंकि इनका स्टॉक एक्सचेंज में क्रय-विक्रय हो सकता है, जबकि मुद्रा बाजार प्रपत्र अधिक तरल होते हैं, क्योंकि इसके लिए औपचारिक व्यवस्था की हुई होती है।
6. सुरक्षा- पूँजी बाजार में प्रपत्रों के मूल्य की .. वापसी एवं उन पर प्रतिफल दोनों का जोखिम है, जबकि मुद्रा बाजार कहीं अधिक सुरक्षित है। इसमें गड़बड़ी की सम्भावना न्यूनतम है।
7. सम्भावित प्रतिफल- पूँजी बाजार में विनियोजित राशि पर नियोजकों को मुद्रा बाजार की तुलना में अधिक ऊँची दर में प्रत्याय मिलता है।