पूँजी बाजार के प्रकार्य-
विद्यमान प्रतिभूतियों की द्रवता एवं विनियोग की सुविधा उपलब्ध कराना- यह पहले से विद्यमान प्रतिभूतियों को द्रवता (तरलता) एवं आसान विनियोग अर्थात् दोनों की ही सुविधा उपलब्ध कराता है। यह एक ऐसा बाजार है जहाँ प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय किया जाता है।
प्रतिभूतियों का मूल्यन/भाव- यह सतत मूल्यन या मूल्य निर्धारण का एक प्रक्रम है जिसके माध्यम से प्रतिभूतियों के मूल्य/भाव निर्धारित होते हैं।
लेन-देन की सुरक्षा- इसकी सदस्यता नियमित रहती है और इसके व्यापार को विद्यमान कानूनी ढाँचे के अनुसार संचालित किया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि निवेशक इस बाजार में सुरक्षित एवं निष्पक्ष लेन-देन कर सकें।
आर्थिक प्रगति हेतु भागीदारी- पूँजी बाजार में विद्यमान प्रतिभूतियों को पुनः बेचा या खरीदा जाता है। यह प्रक्रिया निरन्तर चलती रहती है। यही फिर पूँजीगठन एवं आर्थिक वृद्धि की ओर अगुवायी करता है।
शेयर स्वामित्व को सुनिश्चित करना- पूँजी बाजार नये निर्गमों को विनियमित करके, बेहतर व्यापार, व्यवहारों तथा जनता को निवेश के बारे में शिक्षित कर विस्तृत शेयर स्वामित्व को सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सट्टेबाजी के लिए अवसर उपलब्ध कराना- पूँजी बाजार कानूनी प्रावधानों के अन्तर्गत प्रतिबंधित एवं नियन्त्रित तरीके से सट्टे सम्बन्धी क्रियाकलापों के लिए पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराता है।