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सेबी के उद्देश्यों और कार्यों की व्याख्या करें।

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सेबी (SEBI) के उद्देश्य- भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की स्थापना भारत सरकार द्वारा 12 अप्रैल, 1988 को एक आन्तरिक प्रशासनिक निकाय के रूप में की गई थी। 30 जनवरी, 1992 को सेबी को एक अध्यादेश द्वारा भारत सरकार ने एक वैधानिक निकाय का दर्जा दिया।

सेबी का मूल उद्देश्य एक ऐसे पर्यावरण को पैदा करना है जो प्रतिभूति बाजारों के माध्यम से संसाधनों को नियोजन एवं सक्षम गतिशीता को सुसाध्य बनाये। साथ ही इसका उद्देश्य प्रतिस्पर्धा को उत्प्रेरित करना तथा नवाचारों को प्रोत्साहित करना है। कुल मिलाकर इसका उद्देश्य निवेशकों के हितों को संरक्षित करना तथा उनके विकास को प्रोत्साहित करना तथा प्रतिभूति बाजार को विनियमित करना है।

संक्षेप में, सेबी के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  • निवेशकों के हितों को संरक्षित करना तथा उनके विकास को प्रोत्साहित करना।
  • शेयर बाजार तथा प्रतिभूति उद्योग को विनियमित करना ताकि क्रमबद्ध ढंग से उनकी क्रियाशीलता को बढ़ावा मिले।
  • निवेशकों के अधिकारों एवं हितों की रक्षा करना विशेष रूप से वैयक्तिक निवेशकों को तथा उन्हें मार्गदर्शित एवं शिक्षित करना।
  • व्यापार दुराचारों को रोकना तथा प्रतिभूति उद्योग के स्वनियमन द्वारा एवं इसके वैधानिक विनियमन के बीच एक सन्तुलन प्राप्त करना। 
  • मध्यस्थों जैसे कि दलाल (ब्रोकर्स), मर्चेण्ट (श्रेष्ठी), बैंकर्स आदि के द्वारा एवं आचार संहिता एवं निष्पक्ष व्यवहार को, उन्हें प्रतियोगी एवं व्यावसायिक बनाने के दृष्टिकोण के साथ विकसित एवं विनियमित करना।

सेबी के कार्य-भारत में प्रतिभूति बाजार के विस्तार को देखते हुए सेबी को विनियमन तथा प्रतिभूति बाजार का विकास दोनों कार्यों की सुपुर्दगी सौंपी गई थी।

सेबी के प्रमुख नियमनकर्ता कार्य (कर्त्तव्य) निम्नलिखित हैं-

  • दलालों एवं उपदलालों तथा बाजार के अन्य खिलाड़ियों को पंजीयन करना।
  • सामूहिक निवेश योजनाओं तथा म्युचुअल फण्डों का पंजीकरण करना।
  • शेयर बाजार के दलालों, पोर्टफोलियो एक्सचेंज (फाइल विनियम) तथा मर्चेण्ट बैंकर्स का पंजीकरण करना।
  • धोखेबाजी एवं अनुचित व्यापारों की रोकथाम करना।
  • आन्तरिक व्यापार एवं नियन्त्रणकारी बोलियों पर नियन्त्रण लगाना तथा ऐसे व्यवहारों के ऊपर दण्ड लगाना।
  • उद्यमों में पर्यवेक्षण करना, जाँच-पड़ताल आयोजित करने के द्वारा जानकारी (सूचना) माँगना और शेयर बाजारों तथा मध्यस्थों की लेखा-परीक्षा करना।
  • अधिनियम के उद्देश्यों के बाहर किये जाने वाली गतिविधियों पर अधिशुल्क या कोई अन्य प्रभार लगाना।
  • एस.सी.आर. अधिनियम, 1956 के तहत किये गये अधिकारों को निष्पादित एवं क्रियान्वित करना, जैसा कि भारत सरकार द्वारा सौंपे जा सकते हैं।

विकास कार्य (कर्तव्य)-

  • शेयर बाजार में निवेश करने वाले निवेशकों को शिक्षा प्रदान करना।
  • सेबी प्रतिभूति बाजार के मध्यस्थों के प्रशिक्षण में प्रोत्साहन देता है।
  • उचित आचरणों (व्यवहारों) तथा सभी स्वशासी संगठनों को प्रोत्साहित करना तथा उनका नियन्त्रण करना।
  • अनुसंधान आयोजित करना तथा बाजार के सभी भागीदारों के लिए उपयोगी सूचनाओं का प्रकाशन करना।

सुरक्षात्मक कार्य-

  • प्रतिभूति बाजारों से सम्बन्धित कपटपूर्ण एवं अनुचित व्यापारिक व्यवहारों पर निषेध लगाना। .
  • प्रतिभूतियों में आन्तरिक व्यापार (Insider trading) पर निषेध लगाना।
  • प्रतिभूति बजार में उचित कार्यों एवं आचारसंहिता को बढ़ावा देना। 
  • ऋण पत्रधारियों के हितों की रक्षार्थ दिशा-निर्देश जारी करना। इनके अनुसार कम्पनी स्वयं से ऋण पत्रधारियों के कार्यों को कहीं अन्य निवेश नहीं कर सकती है तथा शर्तों को बीच में नहीं बदल सकती है।
  • सेबी को आन्तरिक लेन-देन/अदृश्य व्यापार मामलों की छानबीन करने का अधिकार है तथा बड़े जुर्माने एवं जेल भेजने का भी प्रावधान है।
  • सेबी ने प्राथमिकी/पूर्वाधिकारिता, यदि बाजार मूल्य से काफी अन्तर पर रोक लगा दी है तो इस सम्बन्ध में नये दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

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