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ललिता अपने ब्रोकर कुशविंदर के माध्यम से अकबर एंटरप्राइजेज के शेयर खरीदना चाहती है। उसके पास प्रतिभूति बाजार में नकदी लेनदेन के लिए एक डीमैट खाता और बैंक खाता है। इस मामले में प्रतिभूतियों की खरीद और बिक्री के लिए स्क्रीन-आधारित व्यापार में शामिल चरणों के बारे में चर्चा करें।

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प्रतिभूतियों की खरीद और बिक्री के लिए स्क्रीन-आधारित व्यापार में शामिल चरण निम्नलिखित हैं-

1. यदि कोई निवेशक कोई प्रतिभूति खरीदना अथवा बेचना चाहता है तो उसे एक दलाल अथवा उपदलाल से एक समझौता (एग्रीमैंट) करना होगा। प्रतिभूतियों के क्रय तथा विक्रय का आदेश देने से पूर्व एक निवेशक को 'दलाल-ग्राहक समझौते' तथा 'ग्राहक-पंजीकरण फार्म' पर हस्ताक्षर करने होते हैं। उसे कुछ विशिष्ट अन्य विवरण तथा जानकारी भी उपलब्ध करानी होती है।

इसमें सम्मिलित हैं-

  • पैन (PAN) नंबर (यह अनिवार्य है)
  • जन्म तिथि व पता
  • शैक्षिक योग्यता तथा व्यवसाय
  • आवासीय स्थिति (भारतीय/एन.आर.आई.)
  • बैंक खाता विवरण
  • किसी अन्य दलाल का नाम जिसके साथ पंजीकृत हैं।
  • ग्राहक पंजीकरण फॉर्म में ग्राहक कोड संख्या

तत्पश्चात् दलाल, निवेशक के नाम से व्यापारिक खाता खोलता है।

2. विभौतिकीय (डीमैट) रूप में प्रतिभूतियों को रखने तथा स्थानांतरित करने हेतु निवेशक को डिपोजिटरी प्रतिभागी के पास एक 'डीमैट खाता' अथवा 'लाभप्रद स्वामी खाता' खोलना होता है। प्रतिभूति बाजार में रोकड़ लेन-देन हेतु उसे एक 'बैंक खाता' भी खोलना होता है।

3. तत्पश्चात् अंशों के क्रय अथवा विक्रय हेतु निवेशक दलाल को आदेश देता है। अंशों की संख्या तथा मूल्य, जिस पर अंश खरीदे अथवा बेचे जाने हैं, के बारे में स्पष्ट अनुदेश दिए जाने चाहिए। तब दलाल अनुदेशित मूल्य अथवा सर्वोत्तम उपलब्ध मूल्य पर लेन-देन का आदेश प्राप्त कर लेता है। दलाल निवेशक को आदेश पुष्टि पर्ची जारी कर देता है।

4. जब दलाल स्वमार्ग (ऑनलाइन) पर शेयर बाजार से संपर्क स्थापित करता है तथा अंश व सर्वोत्तम उपलब्ध मूल्य का मिलान करता है।

5. तब अंश उल्लेखित मूल्य पर क्रय अथवा विक्रय हो जाते हैं तो इसकी सूचना दलाल के टर्मिनल पर पहुँच जाती है और आदेश इलैक्ट्रॉनिक रूप से निष्पादित हो जाता है। तब दलाल निवेशक को लेन-देन पुष्टि पर्ची जारी कर देता है।

6. लेन-देन निष्पादित होने के 24 घंटे के भीतर दलाल एक संविदा नोट (कॉन्ट्रैक्ट नोट) जारी कर देता है। इस नोट में खरीदे अथवा बेचे गए अंशों की संख्या, लेन-देन की तिथि तथा समय एवं दलाली व्ययों का विवरण आदि सम्मिलित होता है। शेयर बाजार द्वारा प्रत्येक लेन-देन को एक अनन्य आदेश कोड (यूनिक ऑर्डर कोड) नियत किया जाता है और इसे संविदा नोट पर छापा जाता है।

7. अब, निवेशक बेचे गए अंशों की सुपुर्दगी देगा अथवा खरीदे गए अंशों हेतु रोकड़ का भुगतान करेगा। यह संविदा नोट की प्राप्ति के तुरंत बाद अथवा दलाल द्वारा शेयर बाजार को भुगतान अथवा अंशों की सुपुर्दगी किए जाने वाले दिन से पूर्व कर देना चाहिए। इसे जमा-दिवस (पे-इन-डे) कहा जाता है।

8. जमा-दिवस पर रोकड़ का भुगतान अथवा प्रतिभूतियों की सुपुर्दगी की जाती है, इसे T+2 वाले दिन से पूर्व किया जाता है क्योंकि T+2 वाले दिन सौदे का पूर्ण रूप से निपटान कर दिया जाता है। 1 अप्रैल, 2003 से निपटान चक्र T+2 वाले दिन को चल निपटान आधार पर लागू है।

9. T+2 वाले दिन शेयर बाजार दूसरे दलाल को अंश सुपुर्द अथवा राशि का भुगतान कर देगा। इसे भुगतान दिवस (पे-आउट-डे) कहा जाता है। दलाल द्वारा निवेशक को भुगतान दिवस के 24 घंटे के भीतर भुगतान करना होता है क्योंकि शेयर बाजार से वह भुगतान पहले ही प्राप्त कर चुका होता है।

10. दलाल निवेशक के डी-मैट खाते में अंशों की सुपुर्दगी डी-मैट रूप में प्रत्यक्ष रूप से कर सकता है, निवेशक को अपने डी-मैट खाते का विवरण देना होता है तथा अपने डिपोजटरी प्रतिभागी को यह अनुदेश देना होता है कि वह उसके लाभप्रद स्वामी खाते में प्रतिभूतियों की सुपुर्दगी प्राप्त कर ले।

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