अभिप्रेरणा की ‘एक्स’ एवं ‘वाई’ विचारधारा का प्रतिपादन लेखक एवं मनोवैज्ञानिक डगलस मेक् ग्रेगर ने अपनी पुस्तक ‘Human Side of Enterprises’ में किया था। इस विचारधारा में मानव व्यवहार को दो भागों में विभाजित करके ऋणात्मक व्यवहार को ‘एक्स’ और धनात्मक व्यवहार को ‘वाई’ विचारधारा के नाम से पुकारा गया। ‘एक्स’ विचारधारा मानव व्यवहार के प्रति निराशावादी तथा नकारात्मक दृष्टिकोण रखती है तथा कर्मचारियों पर कठोर नियन्त्रण और गहन निरीक्षण पर बल देती है। ‘वाई’ विचारधारा मानव व्यवहार के प्रति सकारात्मक एवं आशावादी दृष्टिकोण रखती है तथा कर्मचारियों पर न्यूनतम नियंत्रण एवं निर्देशन पर बल देती है।
‘एक्स’ विचारधारा की मान्यतायें:
- इस विचारधारा के अनुसार कर्मचारी अपनी इच्छा से कार्य करना नहीं चाहता है क्योंकि काम को टालने में उसे सुख व सन्तोष की प्राप्ति होती है।
- एक औसतने कर्मचारी स्वभावतः आलसी प्रवृत्ति का होता है एवं वह कम – से – कम काम करना चाहता है।
- सामान्यतः कर्मचारी महत्वाकांक्षी नहीं होते हैं तथा ये उत्तरदायित्वों से दूर रहना पसन्द करते हैं।
- संगठन में कर्मचारी परम्परागत ढंग से ही कार्य करना पसन्द करता है, उसके अन्दर सृजनशीलता का अभाव पाया जाता है।
- कर्मचारी आत्मकेन्द्रित या स्वार्थी होता है एवं संस्था से इनका बहुत कम लगाव होता है।
- कर्मचारियों से कार्य कराने हेतु दण्ड, भय, प्रताड़ना का सहयोग लिया जाता है।
- कर्मचारी आर्थिक एवं वित्तीय लाभों के लिये कार्य करते हैं।
‘वाई’ विचारधारा की मान्यतायें:
- कर्मचारी कार्य को स्वाभाविक एवं सहज क्रिया मानते हैं तथा कार्य करने से सुख एवं सन्तोष की प्राप्ति होती है।
- कर्मचारी महत्वाकांक्षी होते हैं तथा उत्तरदायित्वों को स्वीकार करते हैं।
- कर्मचारी कल्पनाशील एवं सृजनशील होते हैं तथा नवीन विधियों एवं परिवर्तनों का स्वागत करते हैं।
- कर्मचारी अपनी क्षमता एवं योग्यता का अधिकतम सदुपयोग करना चाहते हैं तथा स्वप्रेरित एवं स्वनियन्त्रित होते हैं।
- कर्मचारी आधारभूत आवश्यकताओं की अपेक्षा स्वाभिमान एवं आत्मविश्वास हेतु कार्य करते हैं।