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विक्रय संवर्द्धन से आप क्या समझते हैं? उपभोक्ता संवर्द्धन की विधियों का वर्णन कीजिए।

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विक्रय संवर्द्धन: विक्रय संवर्द्धन से तात्पर्य लघु अवधि प्रेरणाओं से है जो क्रेताओं को वस्तु अथवा सेवायें तुरन्त क्रय करने के लिये प्रेरित करती है। इनमें विज्ञापन, वैयक्तिक विक्रय एवं प्रचार को छोड़कर अन्य सभी प्रवर्तन तकनीक सम्मिलित होती हैं। विक्रय संवर्द्धन की क्रियाओं को अन्य प्रवर्तन तकनीकों के पूरक के रूप में प्रयोग किया जाता है।

विलियम जे स्टेन्टन के अनुसार – “विक्रय संवर्द्धन से आशय विज्ञापन, वैयक्तिक विक्रय एवं प्रचार के अतिरिक्त उन संवर्द्धनात्मक क्रियाओं से है जो ग्राहक की माँग को प्रोत्साहित करने तथा मध्यस्थों के विपणून निष्पादन में सुधार करने के उद्देश्य से की जाती हैं।”

उपभोक्ता संवर्द्धन विधियाँ: उपभोक्ता संवर्द्धन विधियों का सम्बन्ध उपभोक्ताओं से होता है जो उन्हें अधिकाधिक मात्रा में माल को क्रय करने के लिये प्रेरित करती है। इन संवर्द्धन विधि यिों को उपभोक्ता के निवास स्थान, कार्यालय अथवा मध्यस्थों की दुकानों पर क्रियान्वित किया जाता है।

उपभोक्ता संवर्द्धन की प्रमुख विधियाँ इस प्रकार हैं –

1. नमूने – नमूने विक्रय संवर्द्ध का एक महत्वपूर्ण उपकरण एवं प्रभावकारी उपाय है जिसमें एक उपभोक्ता को एक वस्तु का मुफ्त परीक्षण करने का वास्तविक प्रस्ताव किया जाता है। नमूनों की सहायता से उपभोक्ता वस्तु के गुणों, प्रयोग व उपयोगिता के सम्बन्ध से जाँच परख कर सकता है तथा उसे खरीदने का निर्णय ले सकता है। नमूनों को मुफ्त वितरण घर-घर जाकर अथवा कार्यालयों, दुकानों, चौराहों पर किया जा सकती है। डाक द्वारा भी। सम्भावित ग्राहकों को नमूने भेजे जा सकते हैं। दवा विक्रेता डॉक्टरों को दवाइयाँ, पुस्तक प्रकाशकों द्वारा शिक्षकों को पुस्तके नमूने के रूप में देना आदि इसके प्रमुख उदाहरण देखे जा सकते हैं।

2. प्रतियोगितायें – उपभोक्ता संवर्द्धन की इस विधि के अन्तर्गत निर्माताओं द्वारा उपभोक्ताओं को आकर्षित करने, नई वस्तु को बाजार में प्रस्तुत करने, प्रतिस्पर्धियों से आगे निकलने अथवा विक्रय में वृद्धि करने के लिये विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। प्रतियोगिता में विजयी रहने वाले ग्राहकों को नकद राशि, कम्पनी का उत्पाद अथवा विदेश घूमने एवं पाँच सितारा होटल में रुकने की सुविधा प्रदान की जाती है।

3. कम मूल्य पर विक्रय – इस विधि में निर्माताओं द्वारा उपभोक्ताओं को दीपावली, संस्था का स्थापना वर्ष दिवस, नव वर्ष, दशहरा, गान्धी जयन्ती आदि विशेष अवसरों पर उत्पाद को सूची मूल्य में ‘दिए गए मूल्य से कम मूल्य पर बेचता है। यह प्रचलन एवं फैशन से बाहर हो गई वस्तुओं एवं पुराने स्टॉक को बेचने का सर्वाधिक प्रचलित तरीका है।’

4. कूपन – कूपन एक प्रकार का प्रमाण पत्र है। जब कभी भी इसको भुगतान के लिये एक फुटकर दुकानदार के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा तो इसके धारक को इसमें लिखी बचत एक खास वस्तु के क्रय करने पर प्राप्त हो जायेगी। कूपन में उपभोक्ता को वस्तु खरीदने पर कीमत में छूट दी जाती है अथवा कुछ मुफ्त वस्तु दी जाती। हैं। कूपन वस्तु की पैकिंग में रखे जा सकते हैं अथवा अखबार में प्रकाशित किये जा सकते हैं। राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर कूपन पद्धति का अपने पाठकों को बनाये रखने एवं उनका विस्तार करने में बखूबी उपयोग कर रहे हैं।

5. मेले एवं प्रदर्शनियाँ – उपभोक्ता संवर्द्धन विधि में मेले एवं प्रदर्शनियाँ एक महत्वपूर्ण एवं प्रभावकारी साधन हैं। इनमें वस्तुओं को विशेष रूप से सजाकर रखा जाता है तथा वस्तु से सम्बन्धित हैण्डबिल अथवा साहित्य का मुफ्त वितरण भी किया जाता है। राष्ट्रीय पुस्तक मेला, स्वदेशी मेला, सहकारी वस्तुओं एवं हस्तशिल्प का मेला इसके प्रत्यक्ष उदाहरण है।

6. प्रीमियम – प्रीमियम से अभिप्राय ग्राहकों द्वारा कोई वस्तु खरीदे जाने पर निर्माता द्वारा अतिरिक्त वस्तु प्रदान किये जाने से है। प्रीमियम के कारण ग्राहक वस्तु को खरीदने के लिये प्रेरित होते हैं। पेन्सिल के पैकेट के साथ रबर देना, टूथपेस्ट के पैकेट के साथ टूथ ब्रुश देना, अगरबत्ती के पैकट के साथ अगरबत्ती स्टैण्ड देना, टी.वी. खरीदने पर वी.सी.डी./डी.वी.डी देना आदि इसके प्रमुख उदाहरण हैं।

7. विक्रयोपरान्त सेवा – विक्रयोपरान्त सेवा ग्राहकों को क्रय हेतु प्रेरित करने का महत्वपूर्ण तरीका है। ग्राहक उस कम्पनी के उत्पाद को खरीदना पसन्द करता है जिसकी विक्रयोपरान्त सेवा अच्छी है। इसमें विक्रेता उपभोक्ता को विक्रय के पश्चात् निश्चित अवधि के लिये सेवा की गारन्टी देता है। इससे उस अवधि में ग्राहक वस्तु की देख-रेख, मरम्मत आदि के व्यय से बच जाता है। मशीन, पंखे, वाइक, कार, फ्रिज, आदि के निर्माताओं द्वारा इस विधि का प्रयोग सामान्यतः किया जाता है।

8. पैकेजिंग – आकर्षक एवं सुन्दर, पैकेजिंग से ग्राहक वस्तु को क्रय करने हेतु अधिक आकर्षित होते हैं। अच्छी पैकेजिंग द्वारा वस्तु की कीमत, ब्राण्ड, गुण, प्रयोग विधि आदि के बारे में भी जानकारी प्राप्त हो जाती है। पैकेजिंग विशेष रूप से उपभोक्ता उत्पादों की विपणन की सफलता में विशेष भूमिका निभाता है।

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