विक्रय संवर्द्धन से आशय: विक्रय संवर्द्धन से तात्पर्य लघु अवधि प्रेरणाओं से है जो क्रेताओं को वस्तु अथवा सेवाएँ तुरन्त क्रय करने के लिए प्रेरित करती है। इनमें विज्ञापन, वैयक्तिक विक्रय एवं प्रचार को छोड़कर अन्य सभी प्रवर्तन तकनीकी सम्मिलित होती हैं। विक्रय संवर्द्धन की क्रियाओं को अन्य प्रवर्तन तकनीकों के पूरक के रूप में प्रयोग किया जाता है।
1. विलियम जे. स्टेन्टन के अनुसार – “विक्रय संवर्द्धन से आशय विज्ञापन, वैयक्तिक विक्रय एवं प्रचार के अतिरिक्त उन संवर्द्धनात्मक क्रियाओं से है जो ग्राहक की मांग को प्रोत्साहित करने तथा मध्यस्थों के विपणन निष्पादन में सुधार करने के उद्देश्य से की जाती हैं।”
2. जार्ज डब्ल्यू. हॉपकिन्स के अनुसार – “विज्ञापन एवं विक्रय प्रक्रियाओं को प्रभावशाली बनाने के लिए जिन संगठित प्रयासों की सहायता ली जाती है उन्हें विक्रय संवर्द्धन कहते हैं।”
उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि विक्रय संवर्द्धन में उन्हीं क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है जो फर्म की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए कम अवधि में प्रोत्साहन के लिए की जाती हैं। ये विक्रय प्रयास अनियमित होते हैं जो उपभोक्ताओं को अधिक क्रय करने तथा व्यापारी को अधिक प्रभावपूर्ण तरीके से वस्तुओं का विक्रय करने के लिए प्रेरित करते हैं।
