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कुल आगम, औसत आगम व सीमान्त आगम के पारस्परिक सम्बन्ध को एक काल्पनिक तालिका और रेखाचित्र की सहायता से समझाइए।

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बाजार की विभिन्न अवस्थाओं में आगम वक्रों का व्यवहार अलग-अलग होता है। जैसे–पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में औसत व सीमान्त आगम वक्र एक ही होते हैं जो x अक्ष के समानान्तर एक सीधी रेखा होती है जबकि एकाधिकार व अपूर्ण प्रतियोगिता बाजार में ये दोनों वक्र अलग-अलग होते हैं तथा ऊपर से नीचे की ओर गिरते हुए होते हैं।

हम अपूर्ण प्रतियोगिता बाजार से सम्बन्धित एक तालिका नीचे दे रहे हैं –

तालिका से निम्न बातें स्पष्ट होती हैं –

  1. औसत आगम जो कि वस्तु की कीमत है निरन्तर घट रही है। इसका आशय है कि ज्यादा वस्तु बेचने के लिए कीमत को घटाना पड़ता है।
  2. सीमान्त आगम भी निरन्तर घट रही है लेकिन औसत आगम की तुलना में इसकी घटने की दर तेज है।
  3. कुल आगम में निरन्तर वृद्धि हो रही है लेकिन यह घटती हुई दर से बढ़ रहा है।
  4. औसत आगम कभी भी शून्य नहीं होता है जबकि सीमान्त आगम शून्य भी हो सकता है तथा ऋणात्मक भी हो सकता है।

इन तीनों आगमों को रेखाचित्र द्वारा भी प्रदर्शित किया जा सकता है तथा कुल आगम, औसत आगम व सीमान्त आगम वक्र प्राप्त किये जा सकते हैं।

चित्र से स्पष्ट है कि AR वक्र MR वक्र के ऊपर है क्योंकि AR की गिरने की गति MR की तुलना में कम होती है। TR वक्र TR के बढ़ने की स्थिति को प्रदर्शित कर रहा है।

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